झज्जर | इस बार बासमती धान की खेती करने वाले किसानों की चांदी बनी हुई है. खुले बाजार में किसानों को 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा का भाव मिल रहा है जो पिछले साल से लगभग प्रति क्विंटल 250 रुपए अधिक है. फिलहाल, धान की कटाई और झराई का काम आखिरी दौर में पहुंच चुका है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे बहादुरगढ़ के आसपास ज्यादातर किसान बासमती धान की ही खेती करते हैं.
इस क्षेत्र में उगाया जाने वाला धान दिल्ली की मंडियों में बिक्री किया जाता है. खास बात यह है कि बासमती किस्म के लिए किसी तरह के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का भी चक्कर नहीं होता है क्योंकि सरकार जो MSP निर्धारित करती है, उसकी अपेक्षा इस किस्म का भाव दोगुना तक हो जाता है इसीलिए किसान बासमती किस्म को बेचने के लिए खुले बाजार का रुख करता है.
इस सीजन बासमती किस्म का भाव 4,150 रुपए प्रति क्विंटल तक मिल रहा है जबकि पिछले साल 3,900 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचा था. अच्छा भाव मिलने से किसानों के चेहरों पर मुस्कान साफ दिखाई दे रही है. हालांकि इस बार जरुरत से ज्यादा बारिश होने से उत्पादन प्रभावित हुआ है लेकिन तमाम तरह के उतार-चढ़ाव के बावजूद भी आखिरकार किसानों को अच्छी पैदावार मिली है. बता दें कि बहादुरगढ़ में 10 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर धान की खेती की जाती है.
इस बार धान फसल की कटाई के बाद बचे फसल अवशेष यानि पराली प्रबंधन को लेकर भी किसानों में जागरूकता नजर आ रही है. वैसे भी इस बार सुखे चारे की वजह से प्रति एकड़ पराली 6 हजार रुपए तक बिक रही हैं जबकि पिछले साल चार हजार रुपए प्रति एकड़ तक बिकी थी. इसके पीछे का कारण है कि चारे के लिए किसान पराली का इस्तेमाल करते हैं जबकि कई दूसरे कार्यों में भी पराली का उपयोग किया जाता है.
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