झज्जर । हरियाणा के झज्जर जिले के किसानों ने परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी खेती में हाथ आजमाना शुरू किया है, जिसके चलते उनके जैविक कृषि उत्पादों की धूम हर तरफ मची हुई है. फल से लेकर सब्जियां, जिलें के अनेक किसान जैविक उत्पादों को राजधानी दिल्ली समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. जैविक कृषि उत्पादों के जरिए किसानों की आमदनी तो दोगुनी हो ही रही है साथ ही जैविक कृषि उत्पाद लोगों के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं.
इसी कड़ी में रईया गांव निवासी अश्विनी धनखड़ का सत्या फार्म अपने अमरूदों की वजह से लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. यहां के अमरूदों का स्वाद अनानास की तरह है. यहां के अमरूद का वजन भी 1 किलो 300 ग्राम तक पहुंच चुका है. फार्म मालिक अश्वनी धनखड़ ने बताया कि अमरुद की फसल को जैविक तरीके से तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि इस सीजन में उन्होंने 60 हजार रुपए खर्च कर 2 लाख रुपए की आमदनी कर ली है. अमरुद को लोग खूब पसंद कर रहे हैं और दबादब बिक्री हो रही है.
6 माह बाद और बढ़ेगी आमदनी
अश्विनी ने बताया कि फिलहाल बाग लगाएं ढाई साल हो चुके हैं और जब बाग 3 साल का हो जाएगा तो उनकी आमदनी बढ़कर 5 लाख तक हो जाएगी. उन्होंने अपनी एक एकड़ जमीन पर 950 पौधे अमरुद के तैयार किए हैं. इसके साथ ही चार महीने पहले एक एकड़ जमीन पर ताईवान पिंक किस्म के अमरुद के पौधे लगाए हैं जो पूरी तरह से तैयार होकर 3 साल में फल देने लगेंगे. धनखड़ का कहना है कि वह अमरूद का फल आने के बाद उसे नेट फॉम बैग में पैक कर देते हैं और पूरा फल तैयार होने के बाद उसे तोड़ते हैं.
कलेक्शन मैनेजर की नौकरी छोड़कर अपनाई जैविक खेती
अश्विनी धनखड़ ने बताया कि वो गुरुग्राम की एक निजी कंपनी में कलेक्शन मैनेजर की नौकरी करते थे. सितंबर 2020 में उन्होंने नौकरी छोड़कर जैविक खेती की तरफ कदम बढ़ाए और अब इस फील्ड में उन्होंने पूरा ध्यान केंद्रित कर लिया है. उनका कहना है कि उनका अमरूद शुगर व वजन कम करने में काफी सहायक है क्योंकि सेब में 125 एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और उनके अमरूद में 425 ग्राम एंटीऑक्सीडेंट हैं.
अश्विनी धनखड़ ने बताया कि उनके अमरुद बिल्कुल केमिकल फ्री है और कोई उनके अमरुद में केमिकल होने की बात साबित करता है तो वें उसे 50 हजार रुपए का ईनाम देने के लिए तैयार हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली व गुरुग्राम में वो डिमांड के अनुसार अमरूद भेजते हैं. इसके अलावा अपने खेत के पास कोहली रोड़ पर स्टॉल लगाकर भी अमरूद बेचते हैं.
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