जींद । हरियाणा में पंचायत चुनावों को लेकर चर्चाएं जोरों पर है, लेकिन इस बार भी चुनाव देरी से होंगे. इसके प्रमुख कारण वार्ड बंदी पुरी न होना व महिलाओं के लिए 50% आरक्षण बताया जा रहा है. सरकार ने सभी सरपंचों को 23 फरवरी तक अपना पूरा रिकॉर्ड जिला विकास एवं पंचायत विभाग अधिकारी को देना होगा.
पंचायत चुनाव की चर्चा करते हुए ग्रामीण.
इसके बाद सरपंचों के पास कोई वित्तिय पावर नहीं होगी. उसको कोई भी काम करवाने के लिए बीडीपीओ की सहायता लेनी होगी. इसके बाद सरपंच केवल जाति प्रमाण पत्र, रिहायशी प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने तक ही सीमित रह जाएंगे.
पिछली बार 25 जुलाई 2015 को पंचायतों का कार्यकाल पूरा हुआ था. उस समय सरकार ने सरपंचों के लिए शैक्षणिक योग्यता दसवीं पास कर दी थी. तब भी कोर्ट में स्टे होने के कारण 7 महीनों तक चार्ज पंचायत अधिकारी के पास रहा था.
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