जींद । प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु रोड़वेज परिचालकों के लिए मैनुअल टिकट बनाने के झंझट को खत्म करते हुए ई-टिकटिंग मशीन खरीदने की योजना बनाई थी. लेकिन यह अभी तक सिरे नहीं चढ़ पाई है. जिले में रोड़वेज परिचालक भी कोरोना संक्रमण से अछूते नहीं हैं. ऐसे में इस समय अगर ई-टिकटिग मशीनें परिचालकों के हाथ में होती तो कोरोना संक्रमण के फैलने पर कुछ हद तक रोक लग सकती थी.
दरअसल परिचालक टिकट काटते वक्त अंगूठे पर थूक लगाते हैं. इससे संक्रमण फैलने का खतरा और अधिक रहता है. ई -टिकटिंग मशीनों से परिचालक को इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. रोड़वेज कर्मचारी यूनियनों ने मांग की है कि ई -टिकटिंग मशीन खरीदने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएं.
ई -टिकटिंग मशीन एक स्वाइप मशीन की तरह होती है. इसमें संबंधित रुटों के विभिन्न स्थानों और स्टेशन के कोड फीड होते हैं. टिकट बनाते समय परिचालक को सवारी द्वारा बताए गए स्थान का कोड इंटर करना होगा, जिसके बाद मशीन द्वारा अपने आप ही किराया का मूल्यांकन होगा और टिकट प्रिंट हो जाएगी. मशीनें उपलब्ध होने से टिकट बनाने में पहले की अपेक्षा समय कम लगेगा और परिचालकों को रुट परफोर्म भरने जैसे कामों से भी निजात मिलेगी.
टिकट छपाई का लाखों का खर्च बचेगा
ई -टिकटिंग मशीनें मिलने के बाद टिकट छपाई पर होने वाला लाखों रुपए खर्च बचेगा. जींद डिपो के महाप्रबंधक बिजेंद्र हुड्डा ने कहा कि ई -टिकटिंग मशीन की टेंडर प्रक्रिया मुख्यालय के स्तर पर होगी. डिपो में 294 परिचालक है, इसलिए शुरुआत में इतनी मशीनें तो कम से कम चाहिए ही होगी.
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