जींद | हरियाणा (Haryana) में लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) के लिए 25 मई को मतदान हो चुका है. लोकतंत्र के इस महापर्व में प्रदेशवासियों ने बढ़- चढ़कर भाग लिया, लेकिन जींद जिले के नरवाना क्षेत्र के एक गांव ने लोकसभा चुनाव का पूर्ण रूप से बहिष्कार कर प्रशासन को सकते में डाल दिया. SP, DSP से लेकर SDM और तहसीलदार ने ग्रामीणों को मनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन ग्रामीण अपनी मांगे पूरी न होने की जिद्द पर अड़े रहे और गांव से एक भी मतदाता ने वोट नहीं डाला.
ये थी ग्रामीणों की मांगें
नरवाना विधानसभा क्षेत्र के गांव सुंदरपुर के सरपंच प्रतिनिधि लखविंदर सिंह ने बताया कि 3 बड़ी मांगों को लेकर पूरे गांव ने सर्वसम्मति से लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया था. पहली मांग हमारी तहसील की है. पहले हमारी तहसील नरवाना होती थी, लेकिन साल 2017 में उचाना कर दी गई थी. काम- काज के नजरिए से गांव के ज्यादातर लोगों का आवागमन नरवाना ही रहता है, जबकि उचाना हमारे गांव से काफी दूर पड़ता है. ऐसे में समय और पैसा दोनों की बर्बादी गांव के लोगों को झेलनी पड़ रही है.
उन्होंने बताया कि दूसरी मांग हमारी खेवट की है. जब कोई व्यक्ति फर्द निकलवाता है तो पूरे गांव की फर्द निकलती है, जिसमें 390 पेज हैं और इसे निकलवाने में 4 हजार रुपए खर्च आता है. अगर 3 फर्द एक साथ निकलवानी पड़े तो 10 से 12 हजार रूपए खर्च आता है, जो आम आदमी वहन नहीं कर सकता है.
तीसरी मांग हमारी रजबाहा माइनर धर्मगढ़ की है जो 2007 में निकला था लेकिन आज तक उसका इंतकाल नहीं हुआ है. जिला प्रशासन की तरफ से कोई ठोस आश्वासन हमें नहीं मिल रहा है. अगर यह मांगे हमारे आगे भी पूरी नहीं हुई तो हम विधानसभा चुनाव का भी ऐसे ही बहिष्कार करेंगे.
DC ने दी ये प्रतिक्रिया
डीसी मोहम्मद रजा ने बताया कि गांव सुंदरपुर की ओर से किन्हीं वजहों को लेकर लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की जानकारी सामने आई थी. जिला प्रशासन गांव की मांगों को लेकर लगातार सम्पर्क में था और हमने अपने स्तर पर ग्रामीणों को समझाया था कि आप अपने वोट का प्रयोग अवश्य करें. आपकी जो भी प्रशासनिक स्तर की समस्या है, उनपर जल्द- से- जल्द काम किया जाएगा और हरसंभव उनके समाधान का प्रयास किया जाएगा.
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