जींद | रेलयात्रियों के सफर को आरामदायक और कम समय में दूरी तय हो सकें, इस दिशा में भारतीय रेलवे (Indian Railways) द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में रेलवे द्वारा ट्रेनों में अत्याधुनिक एलएचबी कोच लगाने पर जोर दिया जा रहा है. जींद- भटिंडा रेलवे लाइन पर लंबी दूरी तय करने वाली 2 ट्रेनों में यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. नए साल पर यात्रियों को LHB रैक से संचालित ट्रेनों की सुविधा मिलेगी. इससे यात्रियों का सफर पहले की तुलना में अधिक आरामदायक हो जाएगा.
इन ट्रेनों में मिलेगी सुविधा
जींद से होकर गुजरने वाली ट्रेन नंबर 12481/ 82 (श्रीगंगानगर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन) और ट्रेन नंबर 20409/ 10 (दिल्ली- भटिंडा सुपरफास्ट ट्रेन) में नए साल से यात्रियों को यह सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इन ट्रेनों में LHB रैक के 1 सेकंड एसी, 4 थर्ड एसी, 4 द्वितीय शयनयान, 4 साधारण श्रेणी, 1 पावरकार और 1 गार्ड श्रेणी डिब्बों सहित कुल 15 डिब्बे होंगे.
ये होगी विशेषता
LHB रैक की विशेषता यह होगी कि किसी कारणवश दुर्घटना होने पर ट्रेन के डिब्बे एक- दूसरे पर नहीं चढ़ेंगे. ये रैक लगने के बाद ट्रेनों की रफ्तार में भी इजाफा होगा. आईसीएफ में खुद की बिजली बनाने की क्षमता है. बिजली को बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है.
इसी वजह से इस कोच की ट्रेन को 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से संचालित किया जा सकता हैं. बिजली के लिए इस कोच के पीछे जेनरेटर कार लगा दी जाती है. आधे में जेनरेटर लगा होता है और आधे कोच में माल लोड किया जाता है. इसकी खासियत यह भी है कि इसमें सेंट्रल कप्लिंग होती है और इस वजह से दो बोगियों को आपस में जोड़ा जाता है.
इन ट्रेनों में पहले से सुविधा
फिलहाल जींद जंक्शन से गुजरने वाली अवध- असम, जम्मूतवी एक्सप्रेस, शरबत दा भला, नांदेड़ एक्सप्रेस और छिंदवाड़ा एक्सप्रेस ट्रेनों में एलएचबी रैक लगे हुए हैं.
क्या है LHB सुविधा?
एलएचबी रैक जर्मन तकनीक है, जो अधिकतर तेज रफ्तार वाली ट्रेनों में इस्तेमाल की जाती है. एलएचबी रैक पुराने आइसीएफ रैक से काफी आरामदायक होते हैं. एलएचबी रैक में डबल सस्पेंशन होता है, जबकि आईसीएफ में ऐसा नहीं होता है. एलएचबी में डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है. एलएचबी में 60 डेसीबल तक की आवाज होती है, जो आरामदायक भी है और आवाज भी कम करती है.
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