जींद । सरकार हमें सुविधाएं तो देती है मगर सुविधाएं तब जाकर किसी काम की नहीं होती है जब सरकारी कर्मचारियों द्वारा आनाकानी की जाती है.जींद के बधाना गांव के लोग इन दिनों पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. गांव में बना पानी का घर भी उन्हें यह सुविधा नहीं दे पा रहा है. गांव के लोग हाकिमों से शिकायत करते-करते थक गए हैं, लेकिन हाकिमों की कृपा की, दो बूंद भी नहीं बरसी है.
बधाना गांव के जलघर से चार दिन से पेयजल आपूर्ति नहीं होने पर गांव के लोगों ने शनिवार को विभाग और सरकार के खिलाफ रोष जताया. गांव के लोगों का कहना है कि विभाग सिर्फ पेयजल पर लीपापोती लगा रहा है. बार-बार मोटरों और केबलों के जलने से गांव का जलस्रोत सफेद हाथी बन गया है. मनफूल, बलवान, महावीर, रामकरण, जगदीश, बलबीर, सतबीर और महिला महेंद्रो देवी, कृष्णा, रामकली, राजकाली, पुष्पा, मुकेश, जीवनी देवी, राजो, फूलपति आदि ने बताया कि गांव के जलघर की मोटर और केबल बार-बार आने की वजह से है जलती हुई, गांव के लोगों को पीने के पानी की एक-एक बूंद का सामना करना पड़ रहा है.
सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर बधाना गांव को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जींद नहर से पाइप लाइन को दबाने का काम किया था. लेकिन आज तक उक्त पाइप लाइन से पीने के पानी की एक बूंद भी गांव बधाना के जलघर तक नहीं पहुंची है.
बता दें कि गांव में लगा बोर भी बार-बार खराब होता जा रहा है, जिससे गांव के लोगों को गांव में महीने में एक बार ही पीने का पानी देखने को मिलता है. इतना ही नहीं वाटर हाउस में बोर का पानी इतना खराब है कि जानवर भी इसे पीने से नहीं हिचकते. गांव के वाटरशेड के कुएं गंदगी से भरे हैं, लेकिन विभाग इनकी सफाई की जहमत नहीं उठाता.
गांव के लोगों का कहना है कि कई बार विभाग को अवगत करा चुके हैं, लेकिन समस्या के समाधान के नाम पर कुछ नहीं किया जा रहा है. वैसे तो सरकार की ओर से लोगों को पीने का साफ पानी मुहैया कराने के दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर कुछ और ही नजारा नजर आता है. गांव के लोगों को बताना होगा कि गांव में नहर का पानी शुरू करने के अलावा बोर में नई मोटर और केबल लगाने का काम किया जाए ताकि गांव के लोगों को इस मामले में कोई परेशानी न हो.
जन स्वास्थ्य विभाग के सुपरवाइजर राकेश से मामले की चर्चा हुई तो उन्होंने बताया कि मामला विभाग के संज्ञान में है. जलघर की मोटर तो ठीक है, लेकिन केबल जलने से गांव की आपूर्ति ठप है.एक-दो दिन में करीब एक लाख रुपये की नई केबल आ जाएगी और उसके बाद गांव के लोगों को पीने के पानी की समस्या नहीं होगी.
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