जींद । जींद शहर के राजनगर निवासी बबीता ने मशरुम की जैविक खेती करने का निर्णय लिया और उनके इस निर्णय ने आज उनकी किस्मत पलट दी है. बबीता ने बताया कि पति फौज से रिटायर्ड हैं और शहर में दुकान चलाते थे लेकिन आमदनी इतनी ज्यादा नहीं थी और रही-सही कसर उधार वाले पूरी कर देते थे.
बबीता ने बताया कि मशरुम की जैविक खेती का आइडिया यूट्यूब पर वीडियो देखकर आया. यूट्यूब पर वीडियो देखकर 2016 में उन्होंने घर से ही जैविक खेती की शुरुआत की तो उन्हें लागत से कई गुना ज्यादा मुनाफा मिला. उन्होंने पहले घर पर एक कमरे में मशरुम की जैविक खेती की शुरुआत की. कम जगह में ही अच्छी आमदनी होने लगी तो उन्होंने ज्यादा जगह पर इसकी खेती करना शुरू कर दिया. आज बबीता इस खेती के जरिए 15 लाख रुपए तक सालाना आमदनी कर रही है.
सेहत के लिए लाभकारी है मशरूम
बता दें कि मशरुम खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है. इसका इस्तेमाल बहुत सी दवाइयां बनाने में भी किया जाता हैं क्योंकि मशरुम में बहुत से एंटी आक्सीडेंट, प्रोटीन, विटामिन-डी और जिंक भरपूर मात्रा में मिलता है. मशरूम खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.
जैविक खेती शुरू करनी चाहिए
बबीता ने बताया कि किसानों को परम्परागत खेती का मोह त्याग कर जैविक खेती की शुरुआत करनी चाहिए, ताकि वे अपनी आमदनी को बढ़ा सकें. उन्होंने बताया कि यह काम कम लागत में शुरू होता है. मात्र 20 से 30 हजार रुपये में इसकी एक यूनिट शुरू हो जाती है. इसके लिए जिला बागवानी कार्यालय की ओर से सब्सिडी भी दी जाती है.
डा. असीम जांगड़ा, सलाहकार, जिला बागवानी विभाग, जींद ने बताया कि किसानों के लिए आमदनी बढ़ाने का मशरुम की जैविक खेती से बढ़िया कोई जरिया नहीं है. यह खेती 12 महीने होती है. इस खेती में तापमान को नियंत्रित रखने के लिए सर्दियों में हीटर और गर्मियों में एसी लगवाना पड़ता है. मशरूम की खेती के लिए 25 डिग्री सेल्सियस तापमान सर्वोत्तम माना जाता है.
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