देरी से हुई बारिश ने बिगाड़ा खेल, जींद में यूरिया खाद के लिए मारामारी, यें हैं प्रमुख वजह

जींद । जींद जिले में यूरिया खाद की किल्लत देखने को मिल रही है. किसानों के बीच यूरिया के लिए मारामारी मची हुई है और रिश्तेदारियों में फोन कर दूसरे जिलों से यूरिया खाद लाने की कोशिश में लगे हुए हैं. फिलहाल कपास और धान की फसल के लिए यूरिया खाद की सख्त जरूरत है.

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जींद जिले में करीब 70 हजार हेक्टेयर में धान और करीब 1.40 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल है. मानसून की लेट लतीफी से धान की रोपाई भी देरी से हुई थी. रोपाई के 42-45 दिनों के भीतर ही धान की फसल को यूरिया खाद की आवश्यकता होती है. जिसके चलते यूरिया खाद की डिमांड बढ़ी हुई है. वहीं कपास की फसल में भी टिंडा आदि बनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तो फसल को खुराक देने के लिए यूरिया खाद की जरूरत है. एक किसान साथी अनिल ने बताया कि धान और कपास के लिए यूरिया की सख्त जरूरत है क्योंकि जल्द ही फसल को यूरिया खाद की जरूरत पूरी नहीं की तो फ़सल में विपरीत असर देखने को मिलेगा.

देरी से बारिश से हुई किल्लत

कृषि विभाग के क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर नरेंद्र पाल ने बताया कि इस बार मानसून में देरी हुई है और धान की अगेती फसल में पौधों की ग्रोथ नहीं हो पाईं. ग्रोथ बढ़ाने के लिए ज्यादा मात्रा में यूरिया का प्रयोग किया गया. इसके बाद जब मानसूनी बारिश हुई तो फिर से यूरिया खाद का प्रयोग किया गया जिसके चलते पिछले साल से भी ज्यादा यूरिया खाद का इस्तेमाल किसानों ने किया. इंस्पेक्टर नरेंद्र पाल ने बताया कि अगले 2-3 दिनों के भीतर यूरिया खाद का और स्टॉक आना है, जिससे किसानों को यूरिया खाद की किल्लत नहीं रहेंगी.

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