3 मार्च को है आमलकी एकादशी, यहाँ पढ़े कथा और भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के उपाय

ज्योतिष | फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी या आंवला एकादशी के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने के साथ- साथ आंवले का दान करने का भी विशेष महत्व है. ऐसा करने से व्यक्ति को कई यज्ञ का फल मिलता है. इस दिन आप आंवले का सेवन करते हैं तो कई प्रकार की बीमारियां खत्म हो जाती है.

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पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि होली से पहले आने वाली एकादशी को रंग भरी और आमलकी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी से बनारस में बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलकर इस पर्व की शुरुआत की जाती है.

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आमलकी एकादशी का महत्व

ब्रह्मांड पुराण के अनुसार, इस दिन आंवले के पेड़ और भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है. इस दिन शुभ ग्रह योगों के प्रभाव से व्रत और पूजा का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है. पद्म और विष्णु धर्मोत्तर पुराण का कहना है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है. इस पेड़ में भगवान विष्णु के साथ- साथ देवी लक्ष्मी का भी निवास होता है.

इसी वजह से आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इस दिन आंवले का दान करने से समस्त यज्ञो और 1000 गायों के दान के बराबर फल मिलता है. इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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इस प्रकार करें पूजा

इस एकादशी पर सूर्य उदय से पहले उठ कर पानी में गंगाजल की 7 बूंद एक चुटकी तिल और एक आंवला डालकर उस जल से स्नान करें. इसे पवित्र यात्रा स्नान कहा जाता है.ऐसा करने से जाने अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं. इसके बाद, दिनभर व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करें. इस दिन पूजा अर्चना और दान करने से आपको कई गुना ज्यादा पुण्य प्राप्त होता है.

आमलकी एकादशी की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी की उत्पत्ति विष्णु जी की नाभि से हुई थी. एक बार ब्रह्मा जी ने परब्रह्म की तपस्या कर स्वयं को जानने का प्रयास किया. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को दर्शन दिए. उन्हें देखते ही ब्रह्मा जी की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी.

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उस दौरान ब्रह्मा जी के आंसू जब उनके चरणों पर गिरे आंसू आंवले के पेड़ में बदल गए. तब विष्णु जी ने कहा कि आज से यह वृक्ष और इसका फल मुझे बेहद ही प्रिय होगा और जो भी भक्त आमलकी एकादशी के दिन इस वृक्ष की पूजा करेगा या मुझ पर यह आंवला चढ़ाएगा, वो मोक्ष की तरफ अग्रसर होगा.

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