ज्योतिष | हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी मनाई जाती है. आम बोलचाल की भाषा में इसे बासौडा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों में भी जानकारी दी गई है कि होली के आठवें दिन ही शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है. इस दिन विधि विधान तरीके से पूजा करने से आपको तमाम तरह के रोग और दोष से छुटकारा मिल जाता है.
आज की इस खबर में हम आपको शीतला अष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे. अबकी बार अष्टमी तिथि 15 मार्च को है. शास्त्रों में दी गई जानकारी के अनुसार, मां शीतला के स्वरूप को कल्याणकारी माना जाता है. माता गर्दभ में विराजमान होती है, जिसके हाथों में झाड़ू, कलश, सूप और नीम की पत्तियां होती है.
इस प्रकार करें शीतला अष्टमी का पूजन
- शीतला अष्टमी के 1 दिन पहले यानी कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को स्नान आदि करने के बाद किचन को अच्छी प्रकार से साफ कर लें. इसके बाद, मां शीतला के लिए भोग शुद्धता के साथ खाना बनाए. प्रेम श्रद्धा के साथ मीठी रोटी और मीठे चावल बनाए.
- अष्टमी के दिन सूर्य उदय से पहले उठकर सभी कामों को पूरा कर ले और फिर स्नान करें. इसके बाद, साफ- सुथरे वस्त्र धारण करें, अब मां शीतला का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें. संकल्प लेने के लिए मां शीतला के सामने बैठकर हाथों में फूल अक्षत और एक सिक्का लेकर मंत्रों का संकल्प ले.
- अब इन सभी चीजों को मां को समर्पित कर दें. इसके बाद मां शीतला को फूल, माला, सिंदूर, सोलह सिंगार आदि अर्पित करें इसके बाद बासी भोजन का भोग लगाएं और जल अर्पित करें. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर शीतला स्त्रोत का पाठ करें.
- पूजा करने के बाद आरती कर लें और अंत में भूल चूक के लिए माफी मांगे. रात के समय दीपमाला और जगराता करें. इसके साथ ही, बासी भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.