ज्योतिष | हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व होता है इसे देवउठनी एकादशी और हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है. पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. बता दें कि इस साल तुलसी विवाह 5 नवंबर को है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से 4 महीने के बाद जागते है. वहीं, पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार इस दिन भगवान शालिग्राम का विवाह माता तुलसी के साथ हुआ था.
5 नवंबर को है देवशयनी एकादशी
शालिग्राम को विष्णु का ही एक रूप माना जाता है. देवउठनी एकादशी को शास्त्रों के अनुसार सभी एकादशी तिथि में सर्वश्रेष्ठ माना गया है. कहा जाता है कि इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है अबकी बार तुलसी विवाह 5 नवंबर शनिवार को है. द्वादशी तिथि 5 नवंबर को शाम 6:08 से शुरू होकर 6 नवंबर को शाम 5:06 पर समाप्त होगी. तुलसी विवाह का पारण समय दोपहर 1:09 से दोपहर 3:18 तक रहेगा.
इस प्रकार करें पूजा
बता दें कि तुलसी विवाह के बाद सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता तुलसी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. संसार के सभी सुखों का भोग कर बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. भगवान शालिग्राम को विष्णु का ही एक रूप माना जाता है और माता तुलसी को धन की देवी यानी लक्ष्मी का रूप माना जाता है.
यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी विशेष माना जाता है. इस दिन व्रत करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और सहस्त्रनाम मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए. शाम के समय माता तुलसी को दुल्हन के रूप में तैयार कर, उनकी विधिवत तरीके से पूजा करें.
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