ज्योतिष | अबकी बार देवशयनी एकादशी का व्रत 29 जून को रखा जाएगा. इस एकादशी को हरीशयनी एकादशी और पद्मनाभा एकादशी के नामों से भी जाना जाता है. इसी दिन से चतुर्मास की भी शुरुआत हो जाती है, इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है. यह एकादशी आषाढ़ महीने में मनाई जाती है. पुराणों के अनुसार, यह समय भगवान विष्णु का शयन का होता है यानी कि इस दिन से भगवान श्रीहरि चार महीनों के लिए क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं.
पूजा करने का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, देवशयनी एकादशी का व्रत अबकी बार 29 जून गुरुवार को रखा जाएगा. देवशयनी एकादशी की तिथि की शुरुआत 29 जून को सुबह 3:18 मिनट से होगी और स्थिति का समापन 30 जून को रात 2:42 पर होगा. देवशयनी एकादशी के पारण का समय 30 जून को 1:48 से लेकर शाम 4:36 तक होगा.
इस प्रकार करें पूजा
इस दिन व्रत करने के लिए साधकों को सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करना चाहिए. इसके बाद, घर के पूजा स्थल में गंगाजल का छिड़काव करके. भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें, फिर भगवान को षोडशोपचार पूजन करें. पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाए. भगवान के हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें. साथ ही, भगवान को पान- सुपारी अर्पित करें और दीप और फूल चढ़ाए और भगवान विष्णु की आरती करें.
देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व
सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी को आषाढी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस एकादशी का नाम दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है देव और शयन. देव शब्द भगवान विष्णु के लिए इस्तेमाल किया जाता है और शयन शब्द का अर्थ होता है सोना. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीरसागर में सोने के लिए चले जाते हैं जो लोग देव शयनी एकादशी का व्रत करते हैं. उनकी सारे दुख और तकलीफे दूर हो जाती है और उनकी सभी इच्छाएं भी पूरी होती है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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