नई दिल्ली, Diwali Special | सनातन धर्म में दीपावली का विशेष महत्व है. आज 24 अक्टूबर को देश भर में दिवाली मनाई जा रही है. इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, रावण का वध कर 14 वर्षों का वनवास पूरा करने के बाद अपनी जन्मभूमि अयोध्या में वापस लौटे थे. जिसकी खुशी में पूरी अवध नगरी दिए की चकाचौंध से सजाई गई थी. तब से लेकर आज तक इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाता है. कुछ अन्य धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुंद्र मंथन से इस दिन धन की देवी महालक्ष्मी का जन्म हुआ था. दीपावली को लेकर काफी कथाएं भी प्रचलित है. दिवाली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है, भारत में इस त्यौहार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
दीपावली की कुछ पौराणिक प्रचलित कथाएं
- बता दें कि यह पावन पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है. पुरानी कथाओं की मान्यता के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या को भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अपनी जन्मभूमि अयोध्या पर वापस लौटे थे. जिसके उपलक्ष में हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है. भगवान श्री राम के आने की खुशी में अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया था.
- दीपावली मनाने की परंपरा महाभारत काल से भी जुड़ी हुई है. हिंदू महा ग्रंथ महाभारत के अनुसार इसी कार्तिक मास की अमावस्या को पांडव 13 वर्ष का वनवास पूर्ण कर वापस लौटे थे. बता दें कि कौरवों ने शतरंज के खेल में शकुनी मामा की सहायता से पांडवों का सब कुछ हासिल कर लिया था, जिस वजह से पांडवों को राज्य छोड़कर वापस जाना पड़ा था. कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि को पांडव वापस लौटे थे. पांडवों के वापस लौटने की खुशी में भी लोगों ने दीपक जलाए थे, इसके बाद से प्रत्येक वर्ष दीपावली का पर्व मनाना शुरू कर दिया गया.
- भगवान विष्णु ने वामन रूप लेकर राजा बलि से दान में तीन कदम भूमि मांगी थी. वामन भगवान ने अपने विराट स्वरूप से तीनों लोक ले लिए और राजा बलि से प्रसन्न होकर उन्हें सुतल का राज्य प्रदान किया. सुतल का राज्य जब बलि को मिला था, तब से वहां पर यह उत्सव मनाया जा रहा है. तभी से दीपावली की शुरुआत हुई.
- ऋषि दुर्वासा के हिसाब से जब स्वर्ग श्रीविहीन हो गए, तो देवी मां लक्ष्मी भी वहां से चली गई थी. तब भगवान विष्णु के कहने पर देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया. इसमें से कई रत्न निकले, साथ ही देवी मां लक्ष्मी जी भी उत्पन्न हुई. उस समय भगवान नारायण और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था, तभी से दीपावली मनाई जा रही है.