ज्योतिष | भगवान शिव का प्रिय मास सावन शुरू हो चुका है. अबकी बार सावन का महीना एक महीने का ना होकर पूरे 2 महीने का होने वाला है. 4 जुलाई से सावन के महीने की शुरुआत हो चुकी है और 31 अगस्त तक यह महीना जारी रहेगा. अबकी बार सावन के सोमवार के व्रत भी चार या पांच की बजाय पूरे 8 होने वाले हैं. सावन के महीने में कुछ चीजों सेवन की मनाही होती है. आज की इस खबर में हम आपको उन्ही चीजों के बारे में जानकारी देंगे.
सावन के महीने में ना करें दूध से बनी चीजों का सेवन
धर्म शास्त्रों में सावन के महीने में दही से संबंधित चीजें जैसे की कढी, रायता आदि चीजों का सेवन करना वर्जित माना जाता है. कहा जाता है कि यदि इस महीने में हम इन चीजों का सेवन करते हैं तो हम बीमारियों को दावत देते हैं. इस महीने में दूध या दही से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आपको कई प्रकार की बीमारियों का सामना भी करना पड़ सकता है.
इस दौरान आपको कच्चे दूध का सेवन करने से भी बचना चाहिए. सावन के महीने में भगवान शिव को कच्चा दूध अर्पित किया जाता है इसलिए इस महीने में कच्चा दूध व दूध से संबंधित चीजों का सेवन करना वर्जित होता है.
इस वजह से नहीं करना चाहिए दूध से बनी चीजों का सेवन
यदि हम सावन के महीने में दूध से बनी चीजों का सेवन करते हैं तो इससे हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. हमारा पाचन तंत्र खराब हो जाता है. सावन के महीने में बारिश ज्यादा होती है जिसकी वजह से अनचाहे जगह पर घास उग जाती है और कई प्रकार के कीड़े मकोड़े उन पर रहते हैं. ऐसे में गाय- भैंस घास चरने लगती है. जिसका प्रभाव उनके दूध पर भी पड़ने लगता है. यह दूध सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता. इसीलिए इस मौसम में दूध व दही से संबंधित चीजों का सेवन करने की मनाही होती है या जितना हो सके कम सेवन करें.
पाचन क्रिया हो जाती है धीमी
आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में पाचन क्रिया काफी धीमी हो जाती है, ऐसे में कढ़ी व दही का पाचन करने में परेशानी हो सकती है. चातुर्मास 4 महीनों का समय होता है. अबकी बार अधिकमास या मलमास की वजह से चातुर्मास पूरे 5 महीने का होने वाला है. चातुर्मास में सावन, भाद्रपद आश्विन और कार्तिक मास शामिल होते हैं. इसलिए सावन मास में हरी पत्तेदार सब्जियां, बैंगन, मूली, कटहल, मांस, मछली, दूध, दही आदि खाना वर्जित माना जाता है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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