साल का अंतिम सूर्य ग्रहण शुरू, जानिए क्या पड़ेगा प्रभाव

चंडीगढ़ | इस साल 2021 का आखिरी सूर्य ग्रहण आज 4 दिसंबर के दिन शनिवार को शुरू हो गया है. इस बार सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 8 मिनट की होगी. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण को अशुभ समय माना जाता है. इसी कारण ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ व शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. ग्रहण के कारण सूर्य की शुभता में कमी आ जाती है. इस समय के दौरान ग्रहण के नियमों का पालन करना जरूरी है.

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जानिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी विशेष बातें

आपको बता दें कि आज मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि है. इस बार वृश्चिक राशि में सूर्य ग्रहण लग रहा है. आइए जानते हैं सूर्य ग्रहण से जुड़ी विशेष बातों को-सूर्य ग्रहण भारतीय ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से ग्रहण महत्वपूर्ण बताया गया है. इसे अशुभ घटना के तौर पर देखा जाता है. मान्यता है कि सूर्य ग्रहण का अलग-अलग राशियों पर और सभी मनुष्यों पर असर पड़ता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 12 राशियों पर ग्रहण का कम या ज्यादा दुष्प्रभाव पड़ सकता है.

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हिंदू संस्कृति के अनुसार ग्रहण को अशुभ फलदायी ही माना गया है. अलग-अलग क्षेत्र के हिसाब से कहीं ग्रहण दिखाई देता है और कहीं नहीं नजर आता है. आज सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर लगा सूर्य ग्रहणये ग्रहण सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो गया है, जो दोपहर 3 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा. यह सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. सूर्यग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है. इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव प्रकृति, जीव-जंतु और मनुष्यों पर भी पड़ते हैं. यही कारण है कि ज्योतिषी ग्रहणकाल के दौरान कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं. सनातन महर्षियों के अनुसार, ग्रहणकाल को शेषनाग की हलचल माना जाता है तथा इससे हमारे आस-पास की हर चीज प्रभावित होती है.

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जानिए ग्रहण का प्रभाव क्या होगा

सूर्य ग्रहण के समय दो ग्रह अस्त रहेंगे साल 2021 के आखिरी सूर्य ग्रहण के दौरान आज दो बड़े ग्रह भी अस्त होंगे. इसमें बुध-चंद्रमा शामिल हैं. राहू-केतू भी वक्री होंगे. यह परिवर्तन सभी राशियों पर प्रभाव डालता है. किंतु भारत में ग्रहण की सिर्फ उपछाया होने के चलते सूतक मान्य नहीं होगा. इस ग्रहण के कारण पूजापाठ समेत कई पाबंदियां रहेंगी. धार्मिक मान्यता अनुसार ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य और पूजा की मनाही है. जहां ग्रहण का प्रभाव होता है वहां मंदिर भी बंद कर दिए जाते हैं. ग्रहण खत्म होने पर विधिपूर्वक शुद्धिकरण के बाद ही कपाट खोले जाते हैं. ग्रहण काल के दौरान घरों में भी पूजा पाठ नहीं की जाती है.

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