लाइफस्टाइल डेस्क | आज साल का दूसरा और पहला पूर्ण चंद्रग्रहण है. जनवरी 2019 के बाद पहली बार ऐसा नजारा देखने को मिलेगा. 6 साल में पहली बार सूपरमून और चंद्रग्रहण का संयोग बन रहा है. आज चांद धरती के सबसे नजदीक है.
सूपरमून होता क्या है?
पूर्णिमा पर चांद जब पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है तो हमें वह बड़ा व चमकीला नजर आता है, उसे ही सूपरमून कहा जाता है. सूपरमून की दो शर्तें होती है. एक जब चांद पृथ्वी के सबसे नजदीक हो तथा दूसरी उस दिन पूर्णिमा भी हो.
दरअसल चांद पृथ्वी के आसपास अंडाकार रेखा में चक्कर लगाता है तो इस वजह से पृथ्वी के काफी नजदीक आ जाता है. इसी वजह से हमें उसका आकार सामान्य से बड़ा दिखाई देता है. नासा के मुताबिक, सूपरमून तब होता है जब चांद की कक्षा पृथ्वी के सबसे करीब होती है. पिछली पूर्णिमा के मुकाबले इस महीने पृथ्वी और चांद करीब 0.04 % नजदीक रहने वाले हैं.
तो फिर ब्लडमून क्या होता है?
जब रोशनी की किरण प्रिज्म से गुजरती है तो वह सात रंगों में टूट जाती है इसे हमने VIBGYOR के रूप में याद भी किया है. पृथ्वी के वायुमंडल से रोशनी फिल्टर होगी और तब हमारे ग्रह की छाया चांद पर पड़ रही होगी. चंद्रग्रहण के दौरान सूरज और चांद के बीच पृथ्वी आ जाती है. तब सूर्य की रोशनी को चांद तक पहुंचने से पृथ्वी रोक देंगी. सबसे अधिक वेवलेंथ वाला लाल रंग प्रभावी होगा. इससे चांद पर लाल रंग की चमक दिखेंगी, जिसकी वजह से इसे ब्लड मून भी कहते हैं.
भारत में दिखेगा या नहीं?
नहीं, देश के अधिकतर लोग चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे क्योंकि ग्रहण के समय भारत के अधिकांश हिस्सों में चांद पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा. जब चन्द्रोदय हो रहा होगा, तब पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग चंद्रग्रहण का आखिरी हिस्सा देख सकेंगे. भारतीय समयानुसार, अपराह्न चार बजे पृथ्वी सूर्य और चांद के ठीक बीच में होगी.
दुनियाभर के ऑब्जर्वर आसमान साफ होने पर सूपरमून को देख सकेंगे. लेकिन भारत, नेपाल, पश्चिमी चीन, मंगोलिया और पूर्वी रुस के कुछ हिस्सों में आंशिक ग्रहण ही दिखेगा. इस दौरान चांद पृथ्वी की छाया से बाहर निकल रहा होगा.
कब से कब तक रहेगा
ज्योतिष गणना के अनुसार भारत में दिन के 2 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर शाम 7 बजकर 19 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा.
सूतक काल लगेगा या नहीं?
ये ग्रहण खत्म होते वक्त थोड़े समय के लिए भारत के कुछ हिस्सों में दिखेगा. इसलिए इसका सूतक पूरे देश में नहीं माना जाएगा. जहां ये ग्रहण दिखाई देगा सिर्फ उन्हीं जगहों पर ग्रहण के नियमों का पालन होगा.
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