ज्योतिष | 22 जून गुरुवार को सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे. बता दे कि हर साल सूर्य आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को ही आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं. जब सूर्य इस नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तब पृथ्वी रजस्वला हो जाती है. यह समय बीज बोने के लिए काफी सही माना जाता है. ग्रह नक्षत्रों की इस स्थिति से 52 दिन तेज बारिश का भी योग बनता है. यदि नौतपा के दौरान भयंकर गर्मी का सामना करना पड़ता है, तो आने वाले मानसून में बारिश भी अच्छी होती है. सूर्य को जगत आत्मा भी कहा जाता है क्योंकि सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है.
सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करने का धार्मिक महत्व
आज की इस खबर में हम आपको सूर्य के आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करने का धार्मिक महत्व बताएंगे. सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में आना हिंदू धर्म में काफी महत्व रखता है. इस दौरान भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है. साथ ही, भगवान शिव और विष्णु को खीर पूरी और आम के फल से भोग लगाया जाता है. इस समय विष्णु सहस्त्रनाम और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना भी काफी अच्छा माना जाता है. भगवान सूर्य को भी खीर पुरी का भोग लगा कर अर्घ्य देना चाहिए.
22 जून को करेंगे सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी 27 नक्षत्रों में छठा नक्षत्र आर्द्रा नक्षत्र है. आर्द्रा नक्षत्र के देवता रुद्र और स्वामी राहु है. वही, भगवान शिव का रूद्र स्वरूप आंधी तूफान का संकेत है. इसीलिए जब भी सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तब किसान खेतों में बीज होते हैं. सूर्य 22 जून गुरुवार के दिन शाम 5:48 में इस नक्षत्र में प्रवेश करने वाले हैं.
आर्द्रा नक्षत्र की राशि मिथुन है, जो बुध ग्रह की राशि है. सूर्य व बुध इस समय मिथुन राशि में ही विराजमान रहेंगे. मिथुन राशि में सूर्य के होने की वजह से आर्द्रा नक्षत्र के विभिन्न क्षेत्रों में भ्रमण करेंगे. इसका प्रभाव देश दुनिया के साथ सभी राशि के जातकों पर भी देखने को मिलेगा.
इन जातकों का लगेगा धार्मिक कार्यो में मन
इस नक्षत्र के प्रथम चरण में सूर्य की बुध और गुरु की युति बनेगी, क्योंकि आर्द्रा नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी गुरु बृहस्पति है. नक्षत्र के प्रथम चरण में इस युति के बनने से जातको को जुड़वा बच्चे पैदा हो सकते हैं. वही मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि के जातकों का धर्म-कर्म के कार्य में मन लग सकता है. उनके अंदर सेवा भाव की भावना उत्पन्न होगी. इस दौरान जातक उच्च शिक्षित होंगे. आद्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में सूर्य के साथ बुध और शनि ग्रह होते हैं, क्योंकि आद्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में शनि देव होते है. इस चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति पर सबसे अधिक प्रभाव सूर्य राहु और शनि का ही होता है.
इन राशि के जातकों को करना पड़ सकता है परेशानियों का सामना
आर्द्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में सूर्य के साथ बुध और शनि ग्रह होते हैं, शनि देव तीसरे चरण के स्वामी है. शनि और राहु के बीच मित्रता का स्वभाव है, परंतु अगर शनि इस चरण में वक्री गति से चल रहे हैं तो मकर और कुंभ राशि के जातकों को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. आर्द्रा नक्षत्र के चौथे चरण में सूर्य के साथ बुध ग्रह स्वामी होते हैं. गुरु और राहु के बीच मित्रता का भाव है, इसी वजह से इस चरण में जन्म लेने वाले बच्चे काफी बुद्धिमान और भ्रमणशील होते हैं. हालांकि इनको धन संचय करने में काफी परेशानियां आती है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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