ज्योतिष, Pitru Paksha 2023 | पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है और 14 अक्टूबर तक पितृपक्ष चलने वाले हैं. अब 16 दिनों तक पितरों के तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का कार्य किया जाएगा. ऐसा करने से पितृ काफी आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि से आश्विन महीने की अमावस्या तिथि तक पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष महत्व है.
आपने भी सुना होगा कि आमतौर पर पुरुष ही कर्मकांड का कार्य करते हैं. ऐसे में अब आपके मन में भी सवाल उत्पन्न हो रहा होगा कि क्या महिलाएं पितृपक्ष में तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान कर सकती है या नहीं. आज की इस खबर में हमको इस बारे में जानकारी देने वाले है.
क्या पुरुषों की तरह महिलाएं भी कर सकती है पिंडदान
काशी के विद्वान और ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि शास्त्रों में महिलाओं को पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने का अधिकार है. इसी के साथ गरुड़ पुराण में भी इस बारे में जानकारी दी गई है. जिनको संतान के तौर पर पुत्र नहीं होता,उनकी पुत्री भी पिंडदान कर सकती है. कथाओं के अनुसार, माता सीता ने भी भगवान राम की अनुपस्थिति में अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था.
कथाओं में जानकारी दी गई है कि जब भगवान श्री राम और लक्ष्मण दशरथ के श्राद्ध के लिए सामान लेने गए थे, तो उन्हें वापिस आने में देरी हो गई थी. उस समय माता सीता ने बालू से पिंड बनाकर राजा दशरथ का पिंडदान किया था. पिंडदान के दौरान हमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान सफेद वस्त्र धारण करना बेहद अच्छा माना जाता है. इसके अलावा, इस क्रम को पूरे श्रद्धा भाव से करना चाहिए. पितृपक्ष के 16 दिनों में हमें सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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