ज्योतिष | PM नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में 22 दिसंबर को आयोजित रामलला की प्राण- प्रतिष्ठा के लिए आज से नासिक के पंचवटी में अनुष्ठान आरंभ कर दिया है. बता दें कि ये जगह श्री राम की जीवनी से जुड़ी हुई है और वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड के अलावा रामचरितमानस, रामचन्द्रिका, साकेत, पंचवटी, साकेत- संत आदि काव्यों में पंचवटी के बारे में विस्तार से बताया गया है.
बताया गया है कि जब भगवान श्री राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास में थे, तो उन्होंने कुछ समय पंचवटी में भी व्यतीत किया था. वह यहां पर कुटिया बनाकर रहे थे. इतना ही नहीं, यहीं से लंकापति रावण ने माता सीता का हरण किया था. इसी जगह पर लक्ष्मण जी ने शूर्पणखा की नाक और कान काटे थे.
लक्ष्मण ने सुझाया था पंचवटी का नाम
श्री रामचरितमानस के अरण्य काण्ड में कुछ दोहे दिए गए हैं जिसमें पंचवटी के बारे में विस्तार से बताया गया है. यहां पर श्री राम और लक्ष्मण के कुछ संवाद है:
है प्रभु परम मनोहर ठाऊँ। पावन पंचबटी तेहि नाऊँ ॥
दंडक बन पुनीत प्रभु करहू। उग्र साप मुनिबर कर हरहू ॥।।
मतलब : हे प्रभु, एक परम मनोहर और पवित्र स्थान है. उसका नाम पंचवटी है. आप दण्डक वन को पवित्र कीजिए और श्रेष्ठ मुनि गौतम जी को कठोर शाम से मुक्त कीजिए.
बास करहु तहँ रघुकुल राया। कीजे सकल मुनिन्ह पर दाया ।।
चले राम मुनि आयसु पाई। तुरतहिं पंचबटी निअराई ॥।।
मतलब : लक्ष्मण आगे कहते हैं कि हे रघुकुल के स्वामी! आप मुनियों पर अपनी कृपा बरसाकर वहीं पर निवास करें. इसके बाद मुनि की आज्ञा पाकर श्री राम पंचवटी के लिए चल दिए थे और गोदावरी नदी के समीप कुटिया बनाई थी.
पंचवटी में ही लक्ष्मण जी ने कांटी थी शूर्पणखा का नाक।।
शूर्पणखा रावन कै बहिनी। दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी ॥
पंचबटी सो गइ एक बारा। देखि बिकल भइ जुगल कुमारा ॥॥
मतलब : रावण की शूर्पणखा नाम की बहन थी, जो नागिन के समान भयानक और दुष्ट हृदय की थी. वह पंचवटी गई थी और राजकुमारों को देखकर विचलित हो गई थी.
रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई। बोली बचन बहुत मुसुकाई॥
तुम्ह सम पुरुष न मो सम नारी। यह सँजोग बिधि रचा बिचारी ॥॥
मतलब : राजकुमारों को देखकर उसने सुंदर रूप धर लिया और प्रभु श्री राम के पास जाकर बोली – न तो तुम्हारे समान कोई पुरुष है, न मेरे समान स्त्री. विधाता ने यह संयोग (जोड़ा) बहुत विचार कर रचा है.
प्रभु श्री राम से माता सीता की ओर देखकर कहा कि वह मेरा भाई लक्ष्मण खड़ा है तो फिर वह लक्ष्मण के पास गई, तो उन्होंने भी मना कर दिया था. इसके बाद शूर्पणखा अपने भयानक रूप में आ गए, तो लक्ष्मण ने अपनी फुर्ती ने उसके नाक और कान काट दिया था.
यही पर हुआं था माता सीता का हरण
जहां पर श्री राम कुटिया बनाकर रह रहे थे उसी के बाहर से रावण ने सीता का हरण किया था. पंचवटी में आसपास 5 बरगद के पेड़ है और इसी वजह से इसे पंचवटी नाम दिया गया था. इन पेड़ों का नाम अश्वत्थ, आमलक, वट, विलब और अशोक है.
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