Motivational Story: जब किसान ने भगवान शिव को कराया गलती का एहसास, पढ़ें यह प्रेरक कथा

Motivational Story: हम सभी को अपना काम बड़ी निष्ठा और निस्वार्थ भाव से करना चाहिए. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को फल की चिंता किए बगैर अपना कर्म करते रहना चाहिए क्योंकि कर्म करना ही व्यक्ति के अधिकार में है ,उसका फल नहीं. कई बार हम हालातों से मजबूर होकर या फिर भावनाओं में बहकर कुछ ऐसे निर्णय लें लेते हैं जिससे हमारा कर्म प्रभावित होता है. मनुष्य को कर्म क्यों करना चाहिए ?

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पढ़ें भगवान शिव और किसान की कथा

एक बार भगवान शिव पृथ्वीवासियों की हरकतों से नाराज़ हो गए और पार्वती को साक्षी मानकर संकल्प लिया कि जब तक पृथ्वीवासी नहीं सुधरेंगे ,तब तक वें शंख नहीं बजाएंगे. देवों को मालूम था कि शंकर भगवान शंख नहीं बजाएंगे तो बरसात नहीं होंगी. हुआं भी ऐसे ही ,पानी की एक बूंद नहीं बरसीं .

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घोर अकाल पड़ गया,धरती पर चारों ओर हाहाकार मच गई. ऐसे में एक दिन आकाश में विचरण करते हुए भगवान शिव और पार्वती ने एक अजीब नजारा देखा कि एक किसान भरी दोपहरी में तपती धूप में खेत की जुताई कर रहा है. पसीने में तर-बतर ,मगर अपनी ही धुन में मगन. बिन बारिश जमीन की सतह पत्थर हो गई थी लेकिन किसान जी-तोड़ मेहनत में जुटा हुआ था. किसान की आंखें आत्मविश्वास से लबरेज थी और उसके पसीने की बूंदों से उम्मीद टपक रही थी.

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भगवान शिव व पार्वती वेश बदलकर किसान के पास पहुंचे और कहा कि भाई क्यूं आप बेवजह अपने शरीर को तकलीफ़ दें रहें हों ? सूखी बंजर जमीन पर केवल पसीना बहाने से ही खेती नहीं होती. किसान ने हल चलातें-2 ही जबाब दिया कि हां श्रीमान आपने ठीक फरमाया. मगर हल चलाने का गुण न भूल जाऊं , इसलिए मैं हर साल पूरी लगन के साथ जुताई करता हूं. जुताई करना भुल गया तो केवल वर्षा से खेती हों सकेंगी क्या? मेहनत करने का अपना ही परम आनंद है और मैं लोभ- लालच के लिए हीी खेती नहीं करता.

हुई जोरदार बारिश

किसान की बातें सुनकर भगवान शिव को भी लगा कि मैं भी तो परम आनंद की अनुभूति लिए ही शंख बजाता हूं. मुझे भी शंख बजाएं एक साल हो गया है. कही मैं भी शंख बजाना तो नहीं भूल गया हूं. भगवान शिव ने तुरंत अपनी झोली से शंख निकाला और जोर से फूंका. चारों और से बादलों की घटाएं उमड़ पड़ी और बिजली चमकने के साथ जमकर बारिश होने लगी. इस बारिश के स्वागत में किसान के पसीने की बूंदें पहले ही जमीन पर गिरकर चमक रही थी.

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कथा का सार

हमें हमारे काम को पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करना चाहिए. फल की चिंता किए बगैर निस्वार्थ भाव से काम करते रहना चाहिए. इसी में परम आनंद है.

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