ज्योतिष | इस हफ्ते के आखिरी दिनों में सूर्य राशि परिवर्तन करने वाले हैं. सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे. इसी पर मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है. दक्षिण भारत में इस त्यौहार को पोंगल के नाम से जाना जाता है. पंजाब में इसे लोहड़ी, खिचड़ी पर्व और पतंगोत्सव कहा जाता है. मध्य भारत में इसे सक्रांति कहा जाता है. मकर संक्रांति को उत्तरायण, माघी, खिचड़ी आदि के नाम से भी जाना जाता है. मकर संक्रांति नई फसलों के आने की खुशी का पर्व है. इसी दिन से खरमास भी खत्म होता है.
15 जनवरी को मनाया जाएगा मकर सक्रांति का त्यौहार
1 महीने तक रुके हुए सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे. लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहते थे, पंजाब के कई इलाकों में इसे लोही या लोई भी कहा जाता था. लोहड़ी का पर्व पौष महीने की आखिरी रात को मनाया जाता है. अबकी बारी यह 13 जनवरी को है.
इस दिन लोग लकड़ी जलाकर आग के चारों ओर चक्कर काटते हुए नाचते- गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, मक्की के दानों की आहुति देते है. कहा जाता है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सती के त्याग के रूप में भी यह त्योहार मनाया जाता है.
हजारों गुना बढ़ जाता है पुण्य
सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसीलिए इसे मकर सक्रांति कहते हैं. अबकी बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को है. यह पर्व फसलों के आगमन की खुशी के रूप में मनाया जाता है. गुड और तिल से बनी हुई मिठाईयां खाते और दान करते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान, दान, पूजा करने से पुण्य हजार गुना हो जाता है. कहा जाता है कि उत्तरायण के छह महीनों तक पृथ्वी प्रकाश में रहती है. इस प्रकाश में शरीर त्याग करने से पुनर्जन्म नहीं होता.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!