दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के शुभ मुहूर्त का होता है विशेष महत्व, यहां जानें पूजा करने की विधि

ज्योतिष | दिवाली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है. पंडित पुष्पेंद्र शास्त्री ने बताया कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है. दीपावली रोशनी का त्योहार है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या आए थे, जिनकी खुशी में सभी नगरवासियों ने अपने भगवान राम के स्वागत के लिए दीप जलाए थे.

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इसके अलावा ऐसी भी मान्यता है कि दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है. आगे बताया गया है कि कार्तिक अमावस्या पर दीपक दान करने का विशेष महत्व है. पुराणों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को समुद्र मंथन के समय देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं. वहीं, वाल्मीकि रामायण के अनुसार, इसी दिन माता लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु से हुआ था. इसी वजह से हर साल दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व होता है. दीपावली की शाम को शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश, कुबेर और माता सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है.

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लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त का महत्व

पुष्पेंद्र शास्त्री ने बताया कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने का विधान है. दिवाली में देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल में लक्ष्मी जी की पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है. प्रदोष काल का अर्थ है सूर्यास्त के बाद तीन मुहूर्त. इसके अलावा प्रदोष काल में स्थिर लग्न में लक्ष्मी की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि स्थिर लग्न में की जाने वाली पूजा-अर्चना में देवी लक्ष्मी निश्चित रूप से अपने अंश के रूप में वहां निवास करने लगती हैं. इसके अलावा महानीशीठ काल में भी लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है.

सुबह से करें पूजा की तैयारी

इस दिन सुबह से ही पूजा की तैयारी शुरू हो जाती है. घरों को रंगोली और लाइटिंग से सजाया गया है. दिवाली की शाम और रात को शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और कुबेर देवता की पूजा जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वर्ग से पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर विचरण करती हैं. जिन घरों में हर तरफ साफ-सफाई, साज-सज्जा और रोशनी होती है. वहां मां लक्ष्मी अपने अंश रूप में विराजने लगती हैं. जब घर में लक्ष्मी का वास होता है तो हमेशा सुख, समृद्धि, धन और शांति बनी रहती है. इसी वजह से दिवाली से कई दिन पहले और दिवाली के दिन दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त घर की साफ-सफाई व विधि-विधान से सजाकर रखने का होता है.

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पूजा की विधि

  • दीपावली के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की फिर से सफाई करें. फिर पूरे घर में गंगाजल छिड़कें और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं.
  • शाम के समय पूजा मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा दें.
  • चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर बाजार से खरीदी गई लक्ष्मी-गणेश, भगवान कुबेर और मां सरस्वती की नई मूर्तियां स्थापित करें.
  • इसके बाद फूलदान में पानी भरकर प्रतिमा के सामने आम के पत्ते रख दें.
  • देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश सहित सभी देवताओं का आह्वान करते हुए, सभी मूर्तियों पर तिलक करें और दीपक जलाकर जल, मौली, जनेऊ, अक्षत, फल, हल्दी और फूल चढ़ाएं और मां लक्ष्मी की स्तुति करें.
  • माता लक्ष्मी की स्तुति करने के बाद विधि अनुसार देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की पूजा करें.
  • दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते समय घर पर मौजूद सभी सदस्यों को वहां इकट्ठा होना चाहिए.
  • महालक्ष्मी की पूजा करने के बाद घर की तिजोरी, पुस्तकों और व्यापारिक साधनों की पूजा करें.
  • अंत में घर के हर हिस्से में घी और तेल का दीपक जलाकर प्रसाद लें.
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लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त

शाम 6.50 बजे से रात 8.45 बजे तक

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