ज्योतिष | वैशाख का महीना शुरु हो चुका है. 5 मई तक वैशाख का महीना रहने वाला है. इस महीने के आखिरी दिन यानी कि पूर्णिमा पर चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में रहता है. इसी वजह से इस महीने को वैशाख का महीना भी कहा जाता है. विशाखा नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति और देवता इंद्र है. इसी वजह से इस पूरे महीने में स्नान- दान, व्रत और पूजा की जाती है. इस महीने में किया गया दान और पुण्य कभी भी खत्म नहीं होता. इसी वजह से इस महीने को काफी खास माना जाता है.
इस महीने दान करने का विशेष महत्व
इस पवित्र महीने में स्नान दान के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी पत्र चढ़ाने से आपको कई यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है. पुराणों में भी वैशाख महीने को भगवान विष्णु का काफी प्रिय महीना माना जाता है. ग्रंथों में बताया गया है कि इस महीने भगवान विष्णु, सूर्य और शिवजी को जल चढ़ाने से कई यज्ञ करने जितना शुभ फल मिलता है. आज की इस खबर में हम आपको जानकारी देंगे कि आपको इस महीने में क्या- क्या काम करने चाहिए.
वैशाख के महीने में जरूर करें ये काम
- वैशाख महीने में हर दिन सूर्य उदय से पहले स्नान करने की परंपरा है. इस महीने में तीर्थ स्थान पर स्नान करने का काफी महत्व है. यदि कोई व्यक्ति तीर्थ में जाकर स्नान नहीं कर सकता तो वह घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदें डालकर नहा लें. ऐसा करने से आपको तीर्थ के जैसा ही पुण्य प्राप्त होता है.
- वैशाख भगवान विष्णु का काफी प्रिय महीना माना जाता है. इसी वजह से भगवान विष्णु की पूजा करने का भी इस महीने में विशेष महत्व है. भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ानी चाहिए, शिवलिंग व पीपल के पेड़ पर पानी चढ़ाए.
- वैशाख महीने में तुलसी के पौधे में जल चढ़ाने और पूजा करने का विधान है. पुराणों में दी गई जानकारी के अनुसार, वैशाख महीने में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद, तुलसी के पौधे में जल चढ़ाना चाहिए. इसके बाद विधि- विधान तरीके से तुलसी की पूजा करें और फिर पौधे के नीचे एक घी का दीपक जलाएं.
- पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है. वैशाख महीने में सुबह जल्दी पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर घी का दीपक लगाना चाहिए. इससे भगवान विष्णु के साथ ही शिव जी और ब्रह्मा जी की आराधना करनी चाहिए, ऐसा करने से आपको विशेष फल प्राप्त होता है.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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