इस बार 11 साल बाद श्राद्ध पक्ष का बन रहा गजब संयोग, जानें महत्व और पूजा विधि

ज्योतिष डेस्क | हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत महत्व है. श्राद्ध पक्ष भी भाद्रपद माह की पूर्णिमा से शुरू होता है. इस बार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार श्राद्ध पक्ष शनिवार, 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर को समाप्त होगा. ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार श्राद्ध पक्ष 15 की जगह 16 दिनों का होगा. ऐसा संयोग 11 साल बाद हो रहा है. भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि को विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा कई मायनों में खास मानी जाती है. गणेशोत्सव के समापन पर पूरा देश उत्साह से भर गया है. वहीं लोग अपने पितरों को याद करके इसी तिथि से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत करते हैं. भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का भी विधान है. ऐसा माना जाता है कि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से उपासक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और घर सुख, समृद्धि और धन से भरा रहता है. भक्त अपने जीवन में पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है.

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भाद्रपद पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि शुक्रवार, 9 सितंबर को शाम 6:07 बजे से शुरू होगी. भाद्रपद पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर, शनिवार को दोपहर 3:28 बजे समाप्त होगी. इसलिए इस वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा 10 सितंबर को मनाई जाएगी. इसी दिन से श्राद्ध कार्य भी शुरू हो जाएगा. लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करेंगे.

भाद्रपद पूर्णिमा पर पूजा की विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. पवित्र नदियों में स्नान का बहुत महत्व है. आप नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान भी कर सकते हैं. स्नान करते समय सभी पवित्र नदियों का ध्यान करें. स्नान के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं व हो सके तो इस दिन भी व्रत रखें. गंगाजल से देवताओं का अभिषेक करें. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. भगवान विष्णु को प्रसाद चढ़ाएं. साथ ही, तुलसी को भी भगवान विष्णु के भोग में शामिल करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु बिना तुलसी के भोग स्वीकार नहीं करते है. ध्यान रहे कि भगवान को केवल सात्विक चीजें ही अर्पित की जाती हैं.

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इसके अलावा, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें. भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें. इस दिन चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है. चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करनी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है. गाय को दूध पिलाने से अनेक प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है.

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चंद्र वर्ष के महीनों के नाम प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि से निर्धारित किए गए हैं. ऐसा माना जाता है कि जिस नक्षत्र में चंद्रमा इस महीने की पूर्णिमा के दिन होता है, उसी के अनुसार महीने का नाम रखा जाता है. सभी 12 महीनों के नाम राशियों पर आधारित होते हैं. ऐसे में इसे भाद्रपद पूर्णिमा कहा जाता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा उत्तर भाद्रपद या पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में होता है.

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