ज्योतिष | कल पूरे देश में धूमधाम से महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) का पर्व मनाया जाएगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस वजह से इस दिन इन दोनों की पूजा- अर्चना करने का विशेष महत्व बताया गया है. भक्तों की तरफ से भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें जल, दूध, शहद, धतूरा से लेकर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है. शिव पुराण में भी जानकारी दी गई है कि भगवान शिव को जल के साथ मात्र बेलपत्र चढ़ाने से ही वह काफी प्रसन्न हो जाते हैं.
बेलपत्र चढ़ाने का भी अपना एक नियम है. कई बार हम गलत तरीके से बेलपत्र चढ़ा देते हैं, जिस वजह से हमें इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता. आज की इस खबर में हम आपको बेलपत्र चढ़ाने के सही तरीके के बारे में जानकारी देने वाले हैं.
बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका
- शिव पुराण के अनुसार, आपको कभी भी सोमवार या फिर चतुर्दशी तिथि के दिन बेलपत्र को तोड़ना नहीं चाहिए. इसीलिए ध्यान रखें कि आप हमेशा एक दिन पहले से ही बेलपत्र को तोड़ कर रख ले.
- बेलपत्र तोड़ते समय आपको इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि आपको सिर्फ तीन पत्तियों वाला ही पत्ता तोड़ना है. कभी भी पूरी डाली ना तोड़े, ऐसा करने से दोष लगता है.
- कभी भी शिवलिंग पर आपको ऐसा बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए जो गंदा हो या फिर जिस पर किसी प्रकार के दाग- धब्बे या फिर कटा- फटा हो.
- शिव पुराण के अनुसार, आपको भगवान शिव को 3, 5, 11, 21, 51 या फिर 101 बेलपत्र समर्पित करने चाहिए.
- जब भी आप भगवान शिवजी को बेलपत्र अर्पित करें तो सबसे पहले उसे अच्छी प्रकार से धो ले. उसके बाद, चंदन या फिर केसर में गंगाजल मिलाकर पेस्ट बना ले और लकड़ी की सहायता से तीनों पत्तियों में ओम लिखें.
- इस बात का ध्यान रखेगी बेलपत्र चढ़ाते समय शिवलिंग के ऊपर चिकने वाला भाग होना चाहिए.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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