जाने: महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या है अंतर, इस तरह करें भगवान शिव को प्रसन्न

ज्योतिष । फाल्गुन महीने मे पड़ने वाली कृष्ण चतुर्दशी यानि इस दिन पडने वाली शिवरात्रि को ही महाशिवरात्रि कहा जाता है. बता दे कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है. हर साल लगभग 12 शिवरात्रि आती है, इन्हीं 12 शिवरात्रि ओं में एक महाशिवरात्रि होती है जिसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. महाशिवरात्रि को लेकर अनेक कथाएं प्रचलित है.

ROHTAK SHIV TEMPLE

1 मार्च मंगलवार को है महाशिवरात्रि

इन कथाओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था. पौराणिक कथाओं में लिखा गया है कि भगवान शंकर ने माता पार्वती के कठोर तप के बाद ही इसी दिन उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि 1 मार्च मंगलवार को है, यह मंगलवार सुबह 3:16 से शुरू होकर चतुर्दशी तिथि का समापन 2 मार्च बुधवार 10:00 बजे होगा. महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भी दीपस्तंभ लगाया जाता है, वहीं कई स्थानों पर तो भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है. इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव को खुश करने के लिए बेलपत्र, बेर, चरणामृत आदि अर्पित करते हैं.

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महाशिवरात्रि पूजन का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि के दिन पहले प्रहर की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 1 मार्च शाम 6:21 से रात्रि 9:27 मिनट तक है. वहीं इसी दिन दूसरे प्रहर की पूजा 1 मार्च रात्रि 9:27 से 12:33 तक होगी. तीसरे प्रहर की पूजा 1 मार्च रात्रि 12:33 मिनट से सुबह 3:39 तक होगी. चौथे प्रहर की पूजा 2 मार्च सुबह 3:39 से 6:45 तक है. इसके बाद का समय 2 मार्च बुधवार सुबह 6:45 के बाद से हैं.

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इस तरह करें महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा

हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. सभी श्रद्धालु इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. बता दें कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें. भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा के समक्ष अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. इसके बाद पूजन करें और अंत में आरती करें.

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