ज्योतिष | शास्त्रों में करवा चौथ (Karva Chauth) के व्रत को विशेष महत्व प्राप्त है. हर साल करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखने का विधान है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है. वहीं, कुंवारी कन्याएं भी अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है. यह निर्जला व्रत है, मतलब इस दिन महिलाएं चांद निकलने तक अन्न और जल दोनों का त्याग कर देती है. उसके बाद, शाम को छलनी से चांद देखकर और अपने पति की आरती उतार कर ही अपना व्रत खोलती है.
कब है करवा चौथ का व्रत
अबकी बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को है. पार्वती मां ने भी भगवान शिव को पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था, इसी वजह से उनका विवाह भगवान भोलेनाथ के साथ हुआ था. इसके बाद से ही करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हुई थी. यह व्रत दाम्पत्य जीवन में अपार खुशियां भर देता है, कहा जाता है कि इस दिन सुहागन महिलाएं अन्न और जल का त्याग कर देती है. इस दिन व्रत रखने के साथ- साथ महिलाओं को कुछ खास मंत्रो का जाप भी करना चाहिए.
इन मंत्रो का करें जाप
- ऊँ एकदंताय नमः
- ऊँ गौर्ये नमः,
- ऊँ चतुर्थी देव्यै नमः
- ॐ नमः शिवाय
- दान मंत्र – करकं क्षीरसम्पूर्णा तोयपूर्णमथापि वा, ददामि रत्नसंयुक्तं चिरञ्जीवतु मे पतिः
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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