ज्योतिष | साल 2020 का दीपोत्सव 13 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. यह उत्सव 5 दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार भगवान धनवंतरी के पूजन के साथ धनतेरस 12 और 13 नवंबर को दो दिन मनाई जा सकती है. इस बार इस पर्व को दो दिन मनाए जाने के पीछे विद्वानों के द्वारा विभिन्न प्रकार के तर्क दिए जा रहे हैं.
दो दिन हो सकती है, धनतेरस..?
दरअसल, ज्यादातर विद्वान 13 नवंबर को धनतेरस का पर्व मनाने के लिए शास्त्र के सम्मत के अनुसार बता रहे हैं. 12 नवंबर के साथ में सहमत विद्वानों मानना है कि 12 को द्वादशी तिथि शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगी. इसके पश्चात त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी. हालाकि, 13 को त्रियोदशी उदयाकाल और प्रदोषकाल दोनो समय रहेगी.
12 नवंबर का तर्क
त्रयोदशी 12 को प्रदोषकाल में त्रयोदशी रहने से इस दिन ही धनतेरस के तोहार का उत्सव मनाया जाना चाहिए. साथ ही साथ 13 नवंबर को धनतेरस मानने के लिए भी विद्वानों का तर्क है कि त्रियोदशी तिथि 12 को रात 9 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी जो 13 नवंबर को शाम 6 बजकर 01 मिनट तक रहेगी.
13 नवंबर का तर्क
13 को त्रियोदशी उदयाकाल और प्रदोषकाल दोनो समय रहेगी. इसके कारण से 13 नवंबर को धनतेरस के त्योहार का आयोजन धूमधाम से करना चाहिए. इसके अतिरिक्त अगर 13 नवंबर को धनतेरस मानी जाती है, उस स्थिति में पांच दिन दीपावली का आयोजन हों सकता है, अन्यथा यह त्यौहार 4 दिन ही मनाया जाएगा. धनतेरस का त्यौहार इस वर्ष 13 नवंबर को पूरे प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाना है.
धनतेरस पर खरीदारी करने का महत्त्व
इस दिन खरीदारी करने की परंपरा बरसों से चली आ रही है. लोगों के मन में ऐसा विश्वास है कि इस दिन खरीदे गए सामान का क्षय नहीं होता. खरीदी करने के अतिरिकत इस पर्व पर दीप दान करना अति आवश्यक होता है. इस दिन अगर कोई व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार, खरीदारी करता है तब यह बेहद शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, देवताओं व दानवों ने समुद्र मंथन किया था.
दक्षिण दिशा की ओर अवश्य करे दीपदान
स्कंद पुराण के अनुसार इस दिन ऐसा करने से अकाल मृत्यु के डर से इंसान मुक्त हो जाता है .पूरे वर्ष में धनतेरस और रूप चतुर्दशी को मृत्यु के देवता यमराज की पूजा दीप दान अर्पित करके की जाती है. धनतेरस के दिन शाम को यमराज के लिए घर की दक्षिण दिशा की ओर में दीपक लगाया जाता है. पूर्वजों द्वारा ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उस घर में रहने वालों पर यमराज हमेशा सहाई होते हैं और परिवार के लोगों में अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता रहता है. पूजा करने से अनजाना भय दूर होता है.
ग्रंथों में, धनतेरस का महत्व
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।।
अर्थात् | कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी पर शाम के समय में घर के बाहर यमदेव के लिए से दीप रखने से अपमृत्यु का समाधान होता है.
कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।
अर्थात् | कार्तिक के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप अवश्य जलाना चाहिए, इससे अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता है.
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