ज्योतिष | हिंदू धर्म के अनुसार किसी भी पूजा में हवन का विशेष महत्व होता है. चाहे फिर वह वैवाहिक कार्यक्रम हो या गृह प्रवेश का कार्यक्रम हो, हर शुभ कार्य में हवन को प्राथमिकता दी जाती है. घर में हवन करवाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है. साथ ही सकारात्मकता बढ़ती है. नवरात्रों में भी मां दुर्गा के नौ रूपों के दर्शन के बाद अष्टमी या नवमी को माता का हवन करवाने का प्रावधान है. हवन करने के बाद ही व्रत पूर्ण माने जाते हैं.
वहीं, हवन के दौरान आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. कानपुर के पंडित राज नारायण जी बताते हैं कि किसी भी पूजा पाठ को करने के बाद उसकी समाप्ति हवन से ही की जाती है. वेद-पुराणों में भी हवन का जिक्र किया गया है. हवन में डाली गई सामग्री से वातावरण शुद्ध हो जाता है. हवन के दौरान देवी-देवताओं के मंत्रों का जप भी किया जाता है, जिससे वातावरण में नई ऊर्जा का सृजन होता है और मस्तिष्क पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है.
हवन करने के नियम
- सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनकर माता-पिता का नाम जपे. इसके बाद जहां आपको हवन करवाना है उस स्थान की सफाई करें. हवन के दौरान आपको बीच में बातचीत नहीं करनी चाहिए.
- अष्टमी और नवमी तिथि को मां दुर्गा के नाम से हवन, पूजन, पाठ करने का महत्व है. वही हवन करने से पहले आपको कुंड का पंचभूत संस्कार जरूर करना चाहिए. इसके बाद वेदी को साफ कर हवन कुंड पर गाय के गोबर या मिट्टी से लेप करना चाहिए.
- पूजन के दौरान आपको हवन कुंड को फूलमाला अर्पित करनी चाहिए. हवन की शुरुआत देवी के मंत्रों से करनी करे. इस दौरान आप दुर्गा सप्तशती का 11 बार पाठ अवश्य करें.
हवन के लिए जरूरी सामग्री
हवन कुंड, काला कलावा, रोली, चंदन, अक्षत, आम या केले के पत्ते, देशी घी, कपूर, धूप, अगरबत्ती, सूखा नारियल, गंगाजल, पांच प्रकार के फल, गूगल, सुपारी, लाल वस्त्र, शहद, फूलों की माला आदि.
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