कैथल । हरियाणा के जिले कैथल का गांव बलबेहड़ा ,जिसकी पहचान यहां के युवाओं से होती है. गांव की युवा पीढ़ी नशें से दूर रहकर सर्कल कबड्डी के खेल में न केवल राष्ट्रीय लेवल पर अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में बनी हुई है. पिछले तीन सालों के दौरान गांव के युवाओं ने 100 से भी ज्यादा कबड्डी प्रतियोगिता जीतकर लाखों रुपए की नकद राशि हासिल की है. टीम में संदीप कौशिक उर्फ बिल्ला बलबेहड़ा व गुरमेल सिंह मैहला के नाम से आज हर कबड्डी प्रेमी परिचित हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर के दोनों खिलाड़ी पिछले दिनों पाकिस्तान में हुई सर्कल कबड्डी प्रतियोगिता में भारतीय टीम का हिस्सा बनें थे. दोनों खिलाड़ियों की पकड़ इतनी मजबूत है कि एक बार विरोधी खिलाड़ी उलझ गया तो फिर छूट पाना मुश्किल है. अपने खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर इस गांव की टीम ने बहुत ही कम समय में अपने नाम का डंका बजाया है.
गांव के हर घर से मिलता है घी और दूध
टीम के कबड्डी खिलाड़ियों की खुराक घी,दूध आदि के प्रबंध में पूरे गांव का बराबर सहयोग रहता है. ग्राम पंचायत भी समय-समय पर खिलाड़ियों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाती रहतीं हैं. टीम कोई टूर्नामेंट जीतकर जब गांव लौटती है तो खिलाड़ियों को सम्मानित किया जाता है.
टीम के सदस्य बिल्ला बलबेहड़ा, गुरमेल सिंह मैहला,दीपक, विक्की, बिन्दर,गोली, गंगा व राजा ने केवल तीन सालों में ही अनेक टूर्नामेंट जीतकर गांव का नाम रोशन करने का काम किया है.
20 बाईक जीती: बिल्ला
सर्कल कबड्डी के खेल में आज के दिन बिल्ला बलबेहड़ा के नाम की तूती बोलती है. बचपन से ही कबड्डी के खेल में रुचि रखने वाले बिल्ला ने मात्र दस वर्ष की आयु में स्कूल नेशनल गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर अपने इरादे जता दिए थे. 2017 में एक कबड्डी प्रतियोगिता के दौरान बेस्ट केचर रहते हुए बाईक जीती. 2019 में मलेशिया में हुई टूर्नामेंट में भी बेस्ट केचर का खिताब अपने नाम किया था. वह अब तक बेस्ट केचर के इनाम के रूप में 20 बाईक जीत चुके हैं. इसके अलावा छः गोल्ड मेडल, एक बुलेट बाइक , वाशिंग मशीन भी जीती है. उनके चाचा मुकेश कुमार भी उन्हें स्विफ्ट गाड़ी देकर सम्मानित कर चुके हैं.
7 बाइक जीती: मैहला
गुरमेल मैहला ने बताया कि वह अब तक 7 मोटरसाइकिल इनाम के रूप में जीत चुके हैं. 12 एलईडी टीवी भी जीते हैं. फरल गांव में हुई टूर्नामेंट के दौरान सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के इनाम के तौर पर आयोजकों ने बुलेट मोटरसाइकिल इनाम में दी थी. कोच सुरेश की अगुवाई में टीम लगातार बेहतरीन प्रदर्शन कर रही है.
गांव का इतिहास
ग्रामीणों ने बताया कि पुराने जमाने में गांव में काठ की जेल होती थी , जिसकी वजह से गांव का नाम काठ का बलबेहड़ा पड़ा. गांव में 36 बिरादरी के लोग बड़े ही प्रेम-भाव से रहते हैं. गांव के लोगों का हरियाणवी संस्कृति के प्रति चाव को देखते हुए गांव में हर साल सांग का आयोजन करवाया जाता है. गांव खुलें से शोच मुक्त हैं.
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