कैथल | एक कहावत है कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है. यहां खरबूजे ने खुद ही किसानों के रंग बदल दिए हैं. गांव डेरा गदला के किसान खरबूजे की खेती से अमीर हो रहे हैं. प्रगतिशील किसान नरवैर सिंह ने इस बार 16 एकड़ में खरबूजे की खेती की है. हालांकि इस साल कीमत पिछले साल के मुकाबले कम है, लेकिन इस बार भी खरबूजे की मांग कम नहीं है.
पिछले साल जहां 13 एकड़ में खरबूजे की खेती हुई थी, इस बार तीन एकड़ बढ़ाते हुए 16 एकड़ में खरबूजा लगाया है. इसके अलावा पांच एकड़ में टिंडे और तीन एकड़ में खीरे की खेती भी की है. हालांकि खीरा और टिंडे की कीमतें बहुत कम हो रही हैं. इस कारण लागत तक पूरी नहीं हो पा रही है. खरबूजा 9 से 10 रुपये किलो बिक रहा है. किसान नरवैर सिंह का कहना है कि पिछले साल खर्च घटाकर भी प्रति एकड़ 50 हजार रुपये की आमदनी हुई थी, इस बार आमदनी पिछले साल से कम होगी.
नरवैर ने किसानों को दी ये सलाह
किसान नरवैर सिंह ने बताया कि बेटा मलक सिंह भी इस काम में पढ़ाई के साथ-साथ उसकी मदद करता है. आगे बताया कि किसान धान और गेहूं की फसल के अलावा अन्य फसलों की खेती करें, एक तो किसानों की आय में वृद्धि होगी और दूसरी
भूमि की उर्वरक शक्ति में वृद्धि से लाभ होगा. किसान फसलों में रासायनिक दवा डालकर फसल को जहरीला बना रहे हैं. दूसरे वे अवशेषों में आग लगाकर जमीन को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. किसान ऐसा करने से बचें और जैविक खेती करें.
किसान नरवैर सिंह ने बताया कि उनके खरबूजे की आपूर्ति कैथल जिले की मंडियों में ही नहीं, बल्कि कुरुक्षेत्र, रोहतक, हांसी, पानीपत, जींद, राजस्थान, दिल्ली समेत कई शहरों में की जाती है. आसपास के गांवों से कई मजदूरों को काम मिला है. खरबूजा की खरीद के लिए व्यापारी मोबाइल पर ही संपर्क करके हुए सप्लाई मंगवाते हैं. वह पिछले चार साल से खरबूजे की खेती कर रहे हैं. गाय के गोबर से तैयार खाद का प्रयोग फसल में किया जाता है. इसी काम को देखते हुए गांव के अन्य किसानों ने भी खेतों में खरबूजे समेत सब्जियों की अन्य फसलें लगाई हैं.
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