कैथल | लकीर से हटकर जिसने भी काम किया, उसने ही नए आयामों को छुआ. किसानों को जब पारंपरिक खेती बाड़ी में नुकसान होने लगा तो साल दर साल पैदावार घटने लगी. कैथल के नैना गांव के किसान प्रवीण नैन ने कामयाबी का रास्ता चुन लिया है. प्रवीण ने पारंपरिक खेती को छोड़कर नेट हाउस को लगाकर रिजकवान खेरा की खेती करना शुरू करा. इस खेती के शुरुआत में आसपास के लोगों ने प्रवीण को डराया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. आज वह किसान 3 एकड़ से खीरा को बेचकर सालाना 15 लाख रुपए की कमाई कर रहा है.
किसान प्रवीण बताते हैं कि यह गेहूं और धान की फसल के साथ-साथ नेट हाउस लगाकर खीरा की खेती भी करता है. जितना वह गेहूं और धान की फसल से कमाता है, उससे कहीं ज्यादा रीजकवान खीरा की खेती से कमा रहा है. प्रवीण ने बताया है कि अभी समय बदल रहा है. किसानों को भी समय के साथ बदलना चाहिए. खेती घाटे का सौदा नहीं है, यदि खेती बेहतरी तथा समय की मांग के अनुसार की जाए तो उसने बहुत मुनाफा है. उनका कहना है कि परंपरागत खेती से किसानों का गुजारा नहीं हो सकता है. इसलिए कुछ अलग करना चाहिए. इस वर्ष मै भी 5 एकड़ में ओर नेट हाउस लगाऊंगा.
खेत में आ रहे हैं खरीददार : प्रवीन
प्रगतिशील किसान प्रवीण बताता है कि वह रिजकवान खीरा को बेचने के लिए कभी मंडी नहीं जाता है. व्यापारिक खेत से ही अच्छे भाव में खीरा खरीद लेते हैं. हरियाणा के हिसार, जींद, नरवाला, कैथल, कुरुक्षेत्र के साथ पंजाब के अमृतसर, लुधियाना, भटिंडा, जालंधर तथा राजस्थान के व्यापारी खीरा खरीद कर ले जाते हैं. फसल बेचने के बाद भुगतान के लिए भी कोई परेशानी नहीं आ रही है.
बागवानी विभाग की 65% सब्सिडी से की शुरुआत
प्रवीण ने बताया है कि उसने बागवानी विभाग से 65% सब्सिडी लेकर काम शुरू किया था. शुरुआत में 50 लाख के आसपास खर्चा आया था. लेकिन अब सालाना 15 लाख की कमाई हो रही है. जैविक खाद को गोबर, गुड तथा बेसन से तैयार करते हैं. फिलहाल ₹20 किलो रिजकवान खीरा बिक रहा है.
लोगों को दे रखा है रोजगार
इसके साथ ही प्रवीण ने नेट में काम करने के लिए 10 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. उन्होंने बताया है कि 10 हजार रुपए प्रतिमाह दिया जाता है. खीरा की तुडाई, भराई तथा नेट की देखभाल का काम करते हैं.
इस खीरे की खासियत
प्रवीण ने बताया है कि इस रिजकवान खीरे की खासियत यह है कि इसका उत्पादन ज्यादा होता है. इसमें बीमारी भी बहुत कम आती है. इसी कारण से इसको लगाने गया देखभाल में कम लागत आती है. -प्रमोद कुमार, डीएचओ बागवानी विभाग
नेट हाउस लगाकर किसान अच्छी खेती कर सकता है. इसके लिए विभाग की तरफ से सब्सिडी भी दी जाती है. ताकि किसान को किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो. प्रवीन नैन किसान अच्छा काम कर रहे हैं. वह धीरे-धीरे लोगों का खेती की तरफ रुझान बढ़ा रहे हैं.
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