कैथल | आंख मूंद कर परम्परागत खेती के पीछे पड़े किसानों के लिए बेशक खेती घाटे का सौदा साबित हो रही हों लेकिन कुछ किसानों ने इस चक्र को तोड़ते हुए बागवानी व सब्जी की खेती की तरफ रुख किया और आज यही खेती उनके लिए लाखों की साबित हो रही है. ऐसा ही एक उदाहरण पेश किया है, कैथल जिले के एक किसान ने, जिसने ढाई एकड़ जमीन से ढाई ही महीने में करीब ढाई लाख रुपए का मुनाफा हासिल किया है.
कैथल जिले के गांव पबनावा निवासी किसान अनिल ने अप्रैल- मई में घीया और करेले की खेती शुरू की. दोनों फसलों पर टोटल खर्चा करीब दो लाख रहा और अभी तक यानि लगभग ढाई महीने के समय में यह किसान साढ़े चार लाख रुपए की सब्जी बेच चुका है. अनिल ने अपने घीया वाले खेत में बीच- बीच में टमाटर और करेले वाले खेत में खीरे की बेल लगाई और अपनी आमदनी में इजाफा किया.
ऐसे लगाई सब्जी
अनिल ने दूसरे किसानों के सामने नजीर पेश करते हुए परम्परागत खेती के चक्र को तोड़ा और सब्जी की खेती पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि पहली बार ढाई एकड़ भूमि पर सब्जी की खेती करने के लिए पाइप लाइन बिछाने, बम्बू, वायर, मल्चिंग और लेबर समेत लगभग दो लाख रुपए की लागत आई. साथ ही घीया और करेले वाले खेत में टमाटर और खीरे की खेती भी शुरू की.
किसान अनिल ने बताया कि ये सभी सब्जियां अप्रैल से शुरू होकर दिसंबर तक चलती है. यदि टमाटर और खीरे का भाव भी अच्छा मिलता है तो मुनाफा कई गुणा तक बढ़ने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन से उन्होंने सब्जियों की खेती का रुख किया और आज उन्हें अपने प्रयोग पर गर्व महसूस हो रहा है.
कम जमीन वाले किसान तोड़े परम्परा
जिला बागवानी अधिकारी डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि किसानों को परम्परागत खेती का मोह त्याग कर बागवानी व सब्जी की खेती की तरफ अपने कदम बढ़ाने होंगे. परम्परागत खेती लगातार घाटे का सौदा साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि खासकर कम भूमि वाले किसानों को प्रति एकड़ उत्पादन बढ़ाने के लिए फसल विविधीकरण को अपनाना होगा.
बागवानी अधिकारी ने बताया कि बागवानी व सब्जी की खेती करने वाले किसानों को भी सरकार द्वारा लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है. बागवानी खेती करने पर सब्सिडी भी दी जा रही है. उन्होंने बताया कि नए बाग लगाने पर पहले साल 30 हजार रुपए तथा दूसरे व तीसरे साल 10 हजार रुपये सहित कुल 50 हजार रुपये प्रति एकड़ दिए जाने का प्रावधान है.
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