कैथल । जिले भर में होली का पर्व पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. परंतु जिले के गुहला खंड गांव दूसेरपुर मे होली के दिन जलती होली में कूदने वाले बाबा के श्राप के भय से लोगों ने होली नहीं मनाई. ऐसा करीब पिछले 170 सालों से हो रहा है.
170 वर्षों से नहीं मना रहे, गांव वाले होली
बता दे कि श्राप देने के पीछे यहां के ग्रामीणों का भय है. उनको लगता है कि अगर उन्होंने होली मनाई तो उनके साथ कुछ अनहोनी हो जाएगी. इसको लेकर ग्राम पंचायत की तरफ से गांव में एक सूचना जारी की जाती है. इसमें होली न मनाने के संबंध में बताया जाता है. गांव में होली न मनाए जाने का कारण 170 वर्ष पहले एक साधु द्वारा दिया गया श्राप है. इस साधु के श्राप से गांव वाले आज तक भयभीत हैं और वह होली नहीं मनाते.
होली न मनाने को लेकर ये मान्यताएं है प्रचलित
इस श्राप को लेकर ग्रामीणों में कई प्रकार की कथाएं प्रचलित है. गांव की युवा महिला सरपंच सीमा रानी के मुताबिक करीब 170 वर्ष पहले गांव मे स्नेहीराम नाम का एक साधु रहता था,जो ठीगने कद का था, बाबा साधु राम ने ग्रामीणों के सामने कुछ मांगे रखी थी, ग्रामीणों ने उनकी मांगो को नहीं माना. जिसकी वजह से बाबा ने होली में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए. वहीं दूसरी मान्यता है कि घटना के दिन गांव मे उल्लास का माहौल था.
लोगों ने मिलजुल एक स्थान पर होलिका दहन के लिए सूखी लकड़ियां अपने व अन्य सामान इकट्ठा कर रखा था, परन्तु गांव के कुछ शरारती तत्वों ने समय से पहले होलिका दहन कर दिया . युवाओं को ऐसा करते देख वहां मौजूद बाबा ने उन्हें रोकने का प्रयास किया. उन सभी युवकों ने बाबा के ठीगने कद का मजाक उड़ाते हुए, समय से पहले ही होलिका दहन कर दिया. युवाओं द्वारा किए गए इस कार्य से बाबा कों गुस्सा आ गया औऱ वह जलती हुई होली में कूद गए .
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!