कबाड़ी ने 35 लाख दान कर फैल किए तगड़े- तगड़े दानवीर, पढ़े अब तक कितना दान कर चुका फकीरचंद

कैथल | भारत के गौरवशाली इतिहास में राजा हरिश्चंद्र, कर्ण और महर्षि दधीचि जैसे दानवीरों के नाम गूंजते रहे हैं. अगर आज के दौर की बात करें तो रतन टाटा शायद ऐसे शख्स हैं जो अपनी कमाई का 60 फीसदी हिस्सा दान में देते हैं. आज हम आपको कैथल के एक ऐसे शख्स से मिलवाएंगे जो इन दानवीरों से कम नहीं है क्योंकि आज हर इंसान पैसे का भूखा पैदा होता है और उसी पैसे के लिए इंसानियत की हत्या तक कर देता है लेकिन हरियाणा के कैथल का यह शख्स बिलकुल अलग है.

Kaithal Fakirchand

रखते हैं कमाई का मात्र 10 प्रतिशत हिस्सा

इस शख्स का नाम फकीरचंद है. वह सिर्फ नाम से ही फकीरचंद है लेकिन वह दिल का इतना अमीर है कि उसके बारे में जितना कहा जाए शायद उतना ही कम है. वह अपनी कमाई का 90 फीसदी हिस्सा चैरिटी में दान कर देते हैं. आज के समय में कोई अपनी कमाई का एक रुपया भी नहीं जाने देता और ये लोग अपने हिस्से का 90 प्रतिशत दान में दे देते हैं और अपनी कमाई का केवल 10 प्रतिशत ही अपने लिए जोड़ते हैं.

कमाई का 90 प्रतिशत हिस्सा करते हैं दान

मशहूर बिजनेसमैन रत्न टाटा अपनी कमाई का 60 फीसदी हिस्सा गरीबों की मदद में खर्च करते हैं लेकिन, कैथल में भी रत्न टाटा को टक्कर देने वाला शख्स फकीरचंद ही है. हालांकि, फकीरचंद कोई बड़ा बिजनेसमैन नहीं हैं लेकिन दिल रत्न को टाटा से भी बड़ा रखते हैं और अपनी कमाई का 90 फीसदी हिस्सा चैरिटी में देते हैं.

कड़ी मेहनत में विश्वास रखते हैं फकीरचंद

फकीर चंद कैथल के अर्जुन नगर खनौरी रोड बाईपास गली नंबर- 1 में बने मकान में रहते हैं और उनकी उम्र 53 साल है. फकीर चंद ने बताया कि वे 5 भाई- बहन थे और उनमें से किसी ने भी शादी नहीं की. सभी भाई- बहनों का निधन हो चुका है. अब वह परिवार में अकेले हैं. उन्होंने बताया कि कुछ पैसे भाई- बहनों के थे जो मुझे मिल गये. मैं चाहता तो पूरी जिंदगी बैठकर खा सकता और सभी सुख- सुविधाएं भोग सकता था लेकिन मैं कड़ी मेहनत में विश्वास करता हूं.

मेहनत करेंगे तो रहेंगे स्वस्थ्य

उन्होंने कहा कि जब तक मैं मेहनत करता रहूंगा, मेरा शरीर भी ठीक रहेगा और हो सकता है कि इस जन्म के अच्छे कर्मों का फल मुझे अगले जन्म में मिले. फकीर चंद बताते हैं कि वह पिछले 25 साल से गत्ता और कबाड़ बीनने का काम कर रहे हैं. वह पैदल ही दुकानों से गत्ता खरीदता है और फिर उसे कबाड़ी को बेच देता है. कार्डबोर्ड बेचने के बाद जो कुछ बचता है उसे वह दान में दे देते हैं.

इस तरह रहते हैं फकीरचंद

फकीर चंद बताते हैं कि वह एक दिन में 600 से 700 रुपये कमा लेते हैं. पहले वह उस पैसे को बैंक में जमा करवाता है फिर, जब पैसा इकट्ठा हो जाता है तो उसे दान या सामाजिक कार्यों में निवेश करता है. बता दे लोग फकीर चंद के रवैये के भी कायल हैं. शायद ही देश में फकीर चंद जैसा कोई समाज सेवी और दानवीर है. अगर फकीर चंद द्वारा दिए गए दान की बात करें तो अब तक फकीर चंद 5 गरीब लड़कियों की शादी करवा चुके हैं. शादी में प्रत्येक लड़की को करीब 75 हजार रुपये का सामान भी दिया था.

फकीरचंद बहुत ही सभ्य और भोले- भाले व्यक्ति हैं. वह आज भी कड़ी मेहनत पर विश्वास करते हैं. आपको बता दे आज भी उनके पास कीपैड फोन है. संपत्ति के नाम पर शहर की मुख्य सड़क पर 200 गज का प्लॉट है जिसमें सिर्फ एक कमरा बना है. बाहर एक छोटा सा लोहे का गेट है जिस पर ताला भी नहीं लगा है. कमरे में लगभग इकट्ठा किया हुआ कबाड़ पड़ा है व कमरे में एक पंखा, बिस्तर, एक पुराना संदूक, कुछ बर्तन और दीवारों पर भगवान की कई मूर्तियां हैं.

क्यों नहीं की शादी?

फकीरचंद ने बताया कि उन्होंने शादी नहीं की क्योंकि उन्हें इस बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिला. उन्होंने बताया कि अब मुझे अपना जीवन केवल धार्मिक कार्य करते हुए बिताना है और इस दुनिया को छोड़ने से पहले मैं अपने नाम का घर भी किसी सामाजिक संस्था या स्कूल को दान कर दूंगा, मैं जो कुछ भी कर रहा हूं वह अपने भाई- बहनों को उनकी मृत्यु के बाद भी जीवित रखने के लिए कर रहा हूं.

फकीरचंद ने अब तक क्या किया?

इसके अलावा, कैथल गोपाल धर्मशाला में गायों के लिए एक शेड भी बनावाया जिस पर लगभग 3 लाख रुपये खर्च किए गए. नंदीशाला गौशाला कैथल में भी उन्होंने गायों के शेड के लिए 4 लाख रुपये का दान दिया है. उन्होंने कैथल की नई अनाज मंडी के पास बनी गौशाला में गायों के लिए 4 लाख रुपये का दान भी दिया है.

अरुणाय मंदिर पिहोवा में बनी कैथलवासियों की धर्मशाला में 1 लाख 70 हजार रुपये की लागत से शेड बनाया गया है. फकीर चंद कैथल के निर्माणाधीन नीलकंठ मंदिर में अब तक 12 से 13 लाख रुपये का दान दे चुके हैं. वृद्धाश्रम समिति ने 2 लाख 30 हजार रुपये से चौक कैथल में एक कमरा बनाया है. साथ ही, खाटू श्याम मंदिर कैथल में 3 लाख 60 हजार रुपये से शेड बनावाया है.

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