कलायत । हरियाणा का कुरुक्षेत्र जिला धर्मनगरी के रूप में देश-दुनिया में विख्यात है. इसी पावन धरा पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. कुरुक्षेत्र, कैथल व करनाल तक आज भी महाभारत युद्ध की निशानियां मौजूद हैं. इन्हीं स्थानों पर मौजूद महाभारत काल की सुरंगें आज भी लोगों के लिए रहस्य बनी हुई है.
कैथल में बनी सुरंग के 5 रास्ते आज भी लोगों के लिए पहेली बनें हुए हैं. कलायत में श्री कपिल मुनि सरोवर तट पर श्मशान घाट के पास बनी महाभारत काल सुरंग आज भी चर्चा का विषय बनी हुई है. इस सुरंग के 5 रास्ते हैं जो अलग-अलग गांवों में जाकर निकलते हैं. इसका एक रास्ता कपिलमुनि सरोवर तट, दूसरा गांव सजूमा, तीसरा गांव लोधर, चौथा गांव मटौर और पांचवां गांव सांघन में जाकर निकलता है. अब लोगों ने भारतीय पुरातत्व विभाग से इस सुरंग की जांच करने और विकसित करने की मांग उठाई है.
छोटी ईंटों की बनी हुई है सुरंग
कैथल जिले में मौजूद कई प्राचीन धार्मिक स्थलों का संबंध महाभारत काल की घटनाओं से जुड़ा हुआ है. इतिहासकार बताते हैं कि महाभारत काल में इन सुरंगों ने कुंती और उसके पांचों पुत्रों को लाक्ष्य गृह की साजिश से बचाया था. भगवान विष्णु के छठे अवतार कपिल मुनि की तपोस्थली कलायत को महाभारत युद्ध का आखिरी सिरा माना जाता है. यहां के लोगों का कहना है कि पांडवों ने कलायत की श्मशान भूमि में स्थित सुरंग में अपना डेरा डाला था. यह सुरंग छोटी ईंटों से बनी हुई है.
4 रास्ते बंद हो चुके
कपिल मुनि सरोवर तट के पुजारियों ने इस महाभारतकालीन सुरंग के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि अब इनमें से चार रास्ते बंद हो चुके हैं. इस सुरंग के आसपास बड़ी-बड़ी झाड़ियां और घास उगी हुई है. उन्होंने कहा कि कलायत क्षेत्र कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में शामिल हैं.
पुजारियों ने कहा कि वर्तमान में सुरंग बदहाली के दौर से गुजर रही है. दिन-प्रतिदिन इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने पुरातत्व विभाग से मांग की है कि इस सुरंग की जांच की जाएं और इसे दोबारा विकसित करने की दिशा में उचित कदम उठाए जाएं.
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