कैथल | आपने मंडियों में धान, गेहूं, सरसों आदि फसलें बिकती देखी होगी लेकिन हरियाणा की एक मंडी ऐसी है जहां पराली का बाजार सजा हुआ है और यहां किसान पराली बेचने पहुंच रहे हैं. किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 5 से 7 हजार रुपए मिल रहें हैं. इससे जहां किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो रही है वहीं, पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है.
पराली की मंडियां लगाने वाले किसान प्रदीप व नरेश ने बताया कि बड़ी तादाद में किसान यहां पराली बेचने पहुंच रहे हैं. इस पहल से जहां एक ओर तो पराली प्रबंधन के नाम पर किसान प्रदेश सरकार से एक हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि ले रहे हैं तो वहीं यहां अलग से पराली बेचने पर अतिरिक्त कमाई कर रहे हैं.
किसान नरेश ने बताया कि प्रदेश सरकार व प्रशासन के सहयोग से यदि हर जिले में इस तरह की मंडी लगाई जाए तो किसानों को और अधिक रेट मिल सकतें हैं. इस पहल से प्रदुषण पर भी काफी हद तक अंकुश लगेगा, साथ ही किसानों को भी फायदा पहुंचेगा. इस तरह की पहल से अनेक लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर पैदा हो रहें हैं.
बेलर मशीन संचालक सोहन सिंह ने बताया कि इस तरह की मंडियों से जहां किसानों को प्रति एकड़ 5-7 हजार रुपए मिल रहें हैं वो वहीं बेलर मशीन पर 80-85 लोगों को काम मिल रहा है, इससे बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल रहा है. इसके अलावा यहां मंडियों में मजदूरों को भी काम मिल रहा है. कृषि अधिकारी डॉ. कर्मचंद ने बताया कि कैथल में लगभग 9.5 लाख टन पराली का उत्पादन होता है.
इसमें से लगभग आधी पराली मंडियों व फैक्ट्रियों के माध्यम से बिक जाती है. इससे किसानों को आमदनी हो रही है तो वही पर्यावरण प्रदुषण पर अंकुश लगाने में भी सफलता हासिल हो रही है. उन्होंने बताया कि यहां से खरीदी हुई पराली दूसरे प्रदेशों राजस्थान, गुजरात व अन्य में भेजी जाती है.
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