अब पराली जलाने से मिलेगा छुटकारा, कैथल के किसान ने अपनाया D-कंपोजर छिड़काव

चंडीगढ़ । हरियाणा, दिल्ली, पंजाब के आस-पास के क्षेत्र में पराली जलाई जाती है. स वजह से प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है. सरकार ने पिछले सालों कई किसानों को दंडित भी किया है, लेकिन फिर भी कुछ किसान ऐसे हैं जो पराली आख़िर जला ही देते हैं. हरियाणा सरकार ने इस ओर पहल करते हुए किसानों से पराली न जलाने की अपील की है. इसके अलावा वेस्ट डी कम्पोजर दवा जहाँ पर्यावरण के लिए सहायक हो रही है वहीं इसी दवाई ने किसानों के लिए पराली जलाने का झंझट ही खत्म कर दिया है.

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हरियाणा के किसान बताते हैं कि जहाँ पहले फसल अवशेषों को जलाया जाता था उससे पर्यावरण प्रदूषित होता था. साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी कमजोर पड़ती थी. लेकिन अब इस दवाई के छिड़काव से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता और जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है. लागत के हिसाब से फसल में पैदावार अच्छी मिल रही है. किसानों की जमीन को जैविक तौर पर ताकत मिल रही है, वहीं मित्र कीटों की संख्या भी बढ़ रही है. किसान बताते है कि फसल की कटाई के बाद जमीन पर जो सूखी घासफूस छूट जाती है, वह भी नष्ट होकर खाद बन जाती है. यही कारण है कि किसानों में वेस्ट डी कंपोजर की तरफ रुझान बढ़ाया है.

3 साल से डी कंपोजर का करते है छिड़काव: सुभाष

किसान सुभाष गुहणा बताते है कि पिछली तीन साल से डी कंपोजर दवाई का छिड़काव अपने खेत में करते है. इससे जहां अच्छी पैदावार दे रही है. पर्यावरण प्रदूषण से राहत मिल रही है. पराली को सड़ाकर खेत में जैविक खाद तैयार होती है. तीन साल पहले डि कंपोजर दवाई का घर पर तैयार करते थे, प्लास्टिक की एक टंकी में 200 लीटर पानी लेकर उसमें दो किलो गुड़ डालकर घोल देते थे, फिर उसमें डीकंपोजर को मिला देते थे. इसे एक लकड़ी की सहायता से दो-तीन मिनट तक हिलाते रहते थे. यह घोल 7 से 8 दिन में तैयार हो जाता है. 200 लीटर के घोल को एक एकड़ में स्प्रे मशीन से छिड़काव कर देते है. इस वर्ष खुद विभाग डी कंपोजर दवाई का छिड़काव कर रहा है.

पैदावार मिलती है अच्छी!

प्योदा के किसान सतबीर ने बताया कि दो साल से डी कंपोजर दवाई का छिड़काव खेत में करते हैं. धान की फसल को कटने के बाद छिड़काव कर देते है. पराली छिड़काव के बाद खेत में सड़ जाती है. खेतों में आग लगाने से छुटकारा मिल गया है. फसल अवशेष प्रबंधन में सबसे वरदान साबित डी कंपोजर दवाई है. अन्य किसानफसल अवशेष की जगह डी कंपोजर दवाई का छिड़काव करें.

गौरतलब है कि कृषि विभाग के उपनिदेशक कर्मचंद ने बताया है कि विभाग की तरफ से D कंपोजर दवाई का छिड़काव करवाया जा रहा है. इससे जहां फसल अवशेष खेत में सड़ जाते है. अगली फसल में अच्छी पैदावार निकलती है. इस दवाई का छिड़काव करने के बाद किसानों को आगामी फसल में पेस्टीसाइड की जरूरत नहीं पड़ती है.

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