हरियाणा के इस किसान ने पराली को बनाया अवसर, अब कमाई के साथ 300 लोगों को दे रहे रोजगार

कैथल | हरियाणा के कैथल जिले के गुहला चीका के गांव रिवाड जागीर निवासी रामकुमार ने नया कारनामा किया है. उन्होंने पराली की गांठ बेचकर न सिर्फ अपनी किस्मत बदली बल्कि 300 लोगों को रोजगार भी दिया. रामकुमार ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वर्ष 2008 में उसने ट्रैक्टर और ट्राली को कर्ज पर लिया था. इसके बाद उसने खेतों से पराली उठानी शुरू की लेकिन वह पार नहीं हुई. जब वह पंजाब के एक प्लांट में पराली बेचने जा रहे थे तो उन्होंने झाल खेड़ी गांव में एक मशीन को पराली से पराली बनाते देखा. 2012 में पुरानी बेलर मशीन खरीदकर ले आए.

Parali Tractor

शुरुआत में आमदनी अच्छी नहीं थी लेकिन हार नहीं मानी. फिर 2018 में कृषि विभाग से अनुदान पर सात मशीनें खरीदीं और काम को आगे बढ़ाया. आज 12 मशीनें हैं, जिससे हम फसल अवशेष प्रबंधन, श्रम और मशीनों की लागत को हटाकर डेढ़ महीने के सीजन में 50 लाख रुपये तक बचा सकते हैं. आज कई महंगे वाहन हैं, वे नियमित आयकर रिटर्न भी दाखिल कर रहे हैं.

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के लिए हर साल जिम्मेदार माने जाने वाले किसानों में बदलाव आ रहा है. इसी जागरूकता का ही नतीजा है कि इस बार हरियाणा में खेतों में पराली जलाने के मामले कम सामने आ रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में अब तक तीन गुना कम मामले सामने आए हैं. पिछले साल अब तक 250 से ज्यादा जगहों पर पराली जलाई गई थी, लेकिन इस साल राज्य में सिर्फ 80 जगहों पर पराली जलाने की खबर है.

गौरतलब है कि साल 2020 में हरियाणा में 15 सितंबर से 12 अक्टूबर तक 1213 जगहों पर पराली जलाई गई थी. 2021 में इसी अवधि में 298 मामले सामने आए थे. इस साल सिर्फ 80 जगहों पर रोशनी की गई है. हरियाणा अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (HARSEC) द्वारा पराली जलाने पर लगातार नजर रखी जा रही है. हरसेक की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 80 मामलों में से सबसे ज्यादा मामले कुरुक्षेत्र 25 और करनाल 25 से सामने आए हैं.

इसके अलावा अंबाला 10, जींद 8, कैथल 8, फतेहाबाद 3, पानीपत-सोनीपत 2-2, पलपाल और यमुनानगर में 1-1 स्थान पर पराली जलाई गई है. बाकी 12 जिलों में एक भी जगह पराली जलाने की सूचना नहीं है. सितंबर माह में राज्य में पराली जलाने का कोई मामला सामने नहीं आया. धान की कटाई का सीजन अब जोरों पर है. अक्टूबर महीने में ही पराली जलाने के 80 मामले सामने आ चुके है. इनमें से 26 जगहों पर 5 अक्टूबर को और 24 जगहों पर 6 अक्टूबर को पराली जलाई गई थी.

इस बार विशेष अभियान का असर

हरदीप सिंह (महानिदेशक, कृषि विभाग ) ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान का ही असर है कि इस बार पराली जलाने के मामले कम सामने आ रहे हैं. खेत में पड़ी पराली के बंडल इस बात का प्रमाण हैं कि किसानों ने पराली का प्रबंधन किया है. इसके साथ ही उन्होंने पराली बेचकर अपनी आमदनी बढ़ाई है. इससे पर्यावरण भी बचा है, दूसरा भूमि की उर्वरता भी बनी हुई है.कृषि विभाग की ओर से पड़ोसी किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक करने की अपील की जा रही है.

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