कैथल । स्कूलो व आंगनबाड़ी में नौनिहालों के स्वास्थ्य की जांच को लेकर भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. बता दे कि कोरोंना महामारी की वजह से पिछले करीब डेढ़ साल से इस योजना के तहत स्कूलों में सर्वे नहीं हुआ. 1 सितंबर से स्कूलों में सर्वे शुरू हुआ. 10 मोबाइल टीमें इस सर्वे के तहत स्कूलों में जा रही है. अभी आंगनवाड़ी केंद्र बंद है, इसलिए आंगनवाड़ी केंद्रों में यह सर्वे नहीं हो पा रहा.
बच्चों में इस तरह की बीमारियां रही है सामने
बता दें कि इस सर्वे के दौरान चिकित्सक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करते हैं. सितंबर महीने में इस तरह की बीमारी से संबंधित केस सामने आए है. 1 साल पहले सर्वे के दौरान बच्चों के दिल में छेद, आंखों की रोशनी कम, खून की कमी, टेड़े पांव, कटे हुए होंठ सहित अन्य कई तरह के मामले सामने आए थे. ऐसे बच्चों की पहचान कर जिला नागरिक अस्पताल रेफर किया गया. इसके बाद योजना के तहत इन बच्चों की सर्जरी करवाई गई. बता दें कि ₹15 लाख से ज्यादा इन बच्चों की सर्जरी पर खर्च किए जा चुके हैं.
वही इस योजना के नोडल अधिकारी डॉक्टर संदीप जैन ने बताया कि यह योजना भारत सरकार की तरफ से शुरू की गई. इस योजना के तहत गरीब जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को निशुल्क इलाज की सुविधा दी जाती है . पूरे जिले में 10 मोबाइल टीमों का गठन किया गया. जो स्कूलों में जाकर सर्वे करती है. इस दौरान बच्चों में अगर किसी तरह की शारीरिक कमी पाई जाती है तो उन्हें अस्पताल रेफर किया जाता है. इसके बाद बीमार बच्चे के इलाज की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. बता दें कि पहले सिविल अस्पताल के चिकित्सक जांच करते हैं, बाद में अगर यहां इलाज उपलब्ध नहीं है, तो बड़े अस्पतालों में रेफर किया जाता है.
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