करनाल । नवरात्रि के शुभ अवसर पर दुर्गा माँ के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है. दुर्गा माँ के इन्हीं स्वरूप में निहित शक्ति से जीने का नया हौसला पाकर करनाल के गांव दुपेड़ी की होनहार प्रीति बेनीवाल ने ऐसी मिसाल पेश की क्या पूरा गांव उन्हें अफसर बिटिया की नई पहचान से जाने लगा है. एक हादसे की शिकार बनने के बाद डेढ़ साल तक ऑपरेशन का दुख सहने वाली बिटिया प्रीति ने हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता पाकर इतिहास रच दिया है. दिल में कुछ करने की सच्ची लगन अगर हो तो मंजिल आखिर मिल ही जाती है.
कुछ दिन पहले घोषित हुए UPSC एग्जाम के नतीजों में कामयाबी हासिल करने वाले होनहारों में करनाल के असंध के गांव दुपेड़ी की प्रीति बेनीवाल भी शामिल है. फरवरी 2016 में शादी करने के बाद दिसंबर 2016 में रेलवे प्लेटफॉर्म पर वह हादसे की शिकार हो गयी परिस्थितियां ऐसी बनीं कई माता पिता को भी अपनी बेटी की जिंदगी के लिए दिन रात मेहनत करनी पड़ी. भाई पंकज बेनीवाल के अनुसार हादसे के बाद प्रीति को दूसरा जीवन मिला बाईपास सर्जरी के साथ डेढ़ साल बिस्तर पर रहने के बावजूद परिवार ने हौसला कम नहीं होने दिया 2019 में भरपूर प्रयास के बावजूद परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं कर सकी लेकिन आज 754 वीं रैंक हासिल करके प्रीति ने इतिहास रच दिया है.
ऐसे लक्ष्य से पहले उन्हें चार अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिली. लेकिन उनका मूल आधार यूपीएससी परीक्षा ही था. सफलता के लिए प्रति अपने माता पिता भाई भाभी को श्रेय देती है. शनिवार गांव में उसका स्वागत होगा. प्रीति का चयन होने पर गांव में खुशी है. अपने गांव और आसपास के इलाकों में अफसर बिटिया की नई पहचान हासिल कर चुकी प्रतिमान है. समाज में आज भी बेटियों को कमजोर नज़रिए से देखा जाता है जबकि बिटिया प्रत्येक वर्ग में बुलंदियां छू रही हैं. लोगों को बेटियों के लिए मानसिकता को बदलने की जरूरत है.
क्या हुआ था प्रति के साथ
2016 की बात है जब प्रीति के सामने एक बार ऐसा समय आ गया जब उस वक्त में उसे कमजोर होने के लिए जबरन मजबूर कर दिया और समाज के कुछ लोगों ने भी उसे कमजोर मानसिकता दर्शाई. फरवरी 2016 में शादी के बाद दिसंबर में रेलवे प्लेटफॉर्म पर एक हादसे की शिकार हो गई. ऐसे में प्रीति के माता पिता ने अपनी बेटी की जिंदगी के लिए दिन रात एक कर दी. हादसे के बाद प्रीति को नया जीवन मिल गया. बाईपास सर्जरी के साथ डेढ़ साल बिस्तर पर रहने के बावजूद परिवार हिम्मत बंधाता रहा लिहाजा प्रीति ने मेहनत से मुँह नहीं मोड़ा और सफलता पाकर इतिहास रच दिया.
बचपन से ही टॉपर
प्रीति ने बचपन से ही प्रदर्शन की छाप छोड़ी है. दोपहरी से तीन किलोमीटर दूर गांव फफड़ाना में प्राइवेट स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल की है. थर्मल प्लांट पानीपत में पिता सुरेश कुमार की तैनाती होने के कारण प्रति ने यहाँ के स्कूल में अच्छे अंकों से दसवीं पास की है. मतलौड़ा से बारहवीं और इसराना कॉलेज से बीटेक, एमटेक और नर्स की. तेज दिमाग के चलते प्रति हर कक्षा में अच्छे अंकों से पास हुई. इसी का परिणाम रहा कि प्रीति ने 2013 से 16 हरियाणा ग्रामीण बैंक में तेनाली ली. साल 2016 भारतीय खाद्य निगम और वर्ष 2021 में विदेश मंत्रालय दिल्ली में असिस्टेंट सेक्शन अधिकारी के पद पर तैनात हुई. अभी UPSC परिणाम में 754 वीं रैंक पाकर सपना सच कर दिया यानी इतिहास रच दिया.
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