करनाल । जिलें के गांव कुचपुरा में खेत की जमीन उपर उठने का जो मामला सामने आया था ,उसकी जांच करने के लिए शनिवार को केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान की दो सदस्यीय टीम घटनास्थल पर पहुंची. टीम में शामिल डॉ परविन्द्र श्योराण व डॉ एके रॉय ने मौके पर पहुंचकर गंभीरता से स्थिति का जायजा लिया और संबंधित किसान नफे सिंह से विचार-विमर्श किया. जांच के पश्चात संस्थान के निदेशक डॉ पीसी शर्मा को इसकी रिपोर्ट सौंपी गई.
क्या है मामला
गांव कुचपुरा के एक किसान ने फसल की कम पैदावार देने वाले अपने एक एकड़ खेत से काफी मात्रा में मिट्टी का उठान करवाया था. उसके बाद खेत को राइस मिल की राख से भरकर उपर से करीब एक से डेढ़ फुट तक मिट्टी डलवा दी. इसके बाद धान की फसल लगाई गई. 13 जुलाई को हुई अत्यधिक बारिश के बाद उक्त खेत में पानी खड़ा हो गया और अचानक से जमीन में मोटी दरारें फट गई. खेत का पानी नीचे जमीन में चला गया और जमीन टीले का आकार लेने लगीं. यह घटना सोशल मीडिया पर खुब वायरल हुई और इस घटना को देखने के लिए लोगों का हुजूम घटनास्थल पर जमा हो गया था.
जांच में यह बात आई सामने
टीम ने जांच के दौरान पाया कि यह कोई भूगर्भीय हलचल नहीं है . दरअसल जिस जमीन पर यह घटनाक्रम हुआ है ,उस जमीन का स्तर आसपास के खेतों से काफी नीचे है. लगातार तीन दिन तक बारिश होने की वजह से आसपास के खेतों का पानी भी उस खेत में इक्कठा हो गया था.
इस तरह जमीन के नीचे बना पानी का दबाव
विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि जब पानी मिट्टी के नीचे बिछाई गई राख तक पहुंचा तो वह उसे सोख नहीं पाई. राख की मोटी परत ने पानी और जमीन के नीचे के भाग को लोक कर दिया. पानी को जमीन सोख नहीं सकीं. इससे पानी का दबाव इतना अधिक बढ़ गया था कि जमीन में दरारें पड़नी शुरू हो गई. पहले एक साइड से जमीन का टुकड़ा पलट गया और फिर देखते-देखते करीब एक एकड़ के क्षेत्रफल में मिट्टी काफी उथल-पुथल हो गई.
इस तरह के प्रयोगों से बचें किसान
केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ पीसी शर्मा ने कहा कि यह कोई प्राकृतिक घटना नहीं है. हमने दो वैज्ञानियों की एक टीम जांच के लिए कुचपुरा गांव में भेजी थी. किसानों को इस तरह के प्रयोगों से बचना चाहिए. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी हो सकता है.
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