करनाल | हरियाणा के करनाल जिले में स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी सरकार का एयरपोर्ट प्रोजेक्ट गति नहीं पकड़ सका है. पिछले 15 साल के कई उतार- चढ़ाव के बाद दिसंबर-2022 में प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण कर हरियाणा इंस्टीट्यूट ऑफ सिविल एविएशन को सौंप दी. पिछले छह माह में कई बैठकें हुईं लेकिन नौसेना हवाई पट्टी के विस्तार के लिए अधिग्रहीत जमीन की चहारदीवारी का काम पूरा नहीं हो सका. यह अध्ययन रिपोर्ट कांग्रेस की हुड्डा सरकार के अनुरोध पर जुलाई- 2013 में तैयार की गई थी.
इस बीच लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने पर करनाल में अपनी पहली सार्वजनिक बैठक के दौरान हवाई अड्डे के निर्माण की घोषणा की थी. सरकार बदलने के बाद 21 जुलाई 2014 को केंद्र ने उड़ान योजना के तहत, हवाई अड्डे के निर्माण की घोषणा की जो पिछले 9 वर्षों से विलंबित है.
किसानों ने लगाया गुमराह करने का आरोप
किसानों ने कहा कि करनाल में हवाई अड्डे के निर्माण की घोषणा वर्ष 2008 में की गई थी और तब से पिछली और वर्तमान सरकारों द्वारा भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों को गुमराह किया गया है. घोषणा के बाद से परियोजना के लिए 18 एकड़ जमीन की मांग की जा रही थी लेकिन वर्ष- 2017 में इसे बढ़ाकर 28 एकड़ और 280 एकड़ कर दिया गया.
किसान शाम सुंदर, रमेश कुमार, दीवानचंद का आरोप है कि कलवेहड़ी, बुढ़ाखेड़ा, फूसगढ़ व छप्परखेड़ा आदि गांवों की जमीन का अधिग्रहण ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से किया गया था. एयरपोर्ट के नाम पर हवाई पट्टी के विस्तार के लिए जमीन ली गई और सहमति से जमीन देने वालों के साथ मुआवजा राशि में भेदभाव किया गया.
प्रदर्शन कर रहे किसानों को मुआवजे के साथ- साथ अतिरिक्त राशि भी दी गई. किसानों के मुताबिक, करीब 60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है, जबकि रिंग रोड प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद करीब 100 एकड़ जमीन खरीदने की संभावना है.
5 हजार फीट रनवे के विस्तार की घोषणा
घरेलू हवाईअड्डे के निर्माण को लेकर वर्ष 2008 से कवायद चल रही है और अक्टूबर 2012 में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने यहां हवाईअड्डा बनाने की संभावनाएं तलाशी. यह परियोजना जून- 2014 तक आधिकारिक दौरों और बैठकों तक ही सीमित रही. करनाल के विकास में अपनी छाप छोड़ते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 8 नवंबर 2014 को नौसेना हवाई पट्टी के विस्तार की घोषणा की.
ड्राफ्ट के मुताबिक, मौजूदा पट्टी को तीन से पांच हजार फीट तक बढ़ाया जाना है. इसके लिए 172 एकड़ तीन कनाल 16 मरला जमीन की जरूरत थी, जिसमें से 106 एकड़ छह कनाल 14 मरला जमीन सरकार की है, जबकि 38 एकड़ जमीन किसानों ने ई- भूमि पोर्टल पर दी थी. दिसंबर-2022 में प्रशासन की ओर से 28 एकड़ जमीन अधिग्रहण की समस्या का समाधान कर दिया गया.
दिल्ली और चंडीगढ़ की हवाई कनेक्टिविटी संभव
घरेलू हवाई अड्डे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद करनाल की दिल्ली और चंडीगढ़ से हवाई कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी. इसके साथ ही जीटी बेल्ट के सभी जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से सटे जिलों को भी लाभ मिलेगा. विस्तार के साथ- साथ यहां छोटे और मध्यम श्रेणी के विमान भी उतर सकेंगे.
बेसिंग, पार्किंग जोन, नाइट लैंडिंग, लाइट एमआरओ जैसी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी. रात में भी विमानों की आवाजाही रहेगी. प्रोजेक्ट डायरेक्टर एएस गिल के मुताबिक, नौसेना हवाई पट्टी के विस्तार के लिए प्राधिकरण के साथ बैठक हो चुकी है. डीपीआर से पहले जमीन की चहारदीवारी करायी जानी है.
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