करनाल | देशभर में मनुष्यों के इलाज के लिए हॉस्पिटल की कमी नहीं है लेकिन हरियाणा में एक हॉस्पिटल ऐसा है जहां पक्षियों का इलाज किया जाता है. बीमार व बेजुबान पक्षियों के इलाज के लिए यहां हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं. आज के इस आधुनिक दौर में जिस तरह से आवासीय क्षेत्र बढ़ रहा है. धड़ाधड़ पेड़ों को काटा जा रहा है और जंगलों को खत्म किया जा रहा है, उससे इन बेजुबान पक्षियों के ठिकाने तेजी से खत्म हो रहें हैं. जितना हक पृथ्वी पर हमारा है उतना ही हक पक्षियों का भी है लेकिन शहरी इलाकों में विकास की अंधी दौड़ में इंसान ने पशु- पक्षियों के जीने की उम्मीद ही खत्म कर दी है.
यहां हम हरियाणा के जिस हॉस्पिटल का जिक्र कर रहे हैं वो करनाल जिले में जीवो मंगलम अस्पताल है जहां पिछले 20 सालों से इन बेजुबान पक्षियों का मुफ्त में इलाज किया जा रहा है. आसमान की उंचाई छूते ये पक्षी न सिर्फ हरियाणा बल्कि देशभर में मरने की कगार पर है. चाइनीज डोर, बढ़ते मोबाइल टावर इन बेजुबानों की मौत का कारण बन रहें हैं. इन दोनों वजहों ने पक्षियों के आशियाने छीन लिए हैं.
मुफ्त में पक्षियों का इलाज
जीवो मंगलम अस्पताल, करनाल हरियाणा का एकमात्र हस्पताल है जहां इन बेजुबान पक्षियों का न सिर्फ इलाज किया जाता है बल्कि इनकी देखरेख भी अच्छे तरीके से की जाती है. यह अस्पताल जीवो मंगलम चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जा रहा है. यहां प्रतिदिन डाक्टरों की टीम पहुंचती है और मुफ्त में पक्षियों का इलाज करती है. यहां पर कबूतर, तोते, बटेर, छोटी घुघी, उल्लू और लव बर्डस जैसे पक्षी है. डॉ साध्वी अर्चिता ने बताया कि यहां न सिर्फ हरियाणा बल्कि आसपास के राज्यों से भी लोग घायल पक्षियों का मुफ्त इलाज कराने पहुंचते हैं.
पेड़ कटने से छिने आशियानें
डॉ. साध्वी अर्चिता ने बताया कि विकास की अंधाधुंध रफ्तार और मनुष्य के अपने सुख की लालसा से प्रकृति में बहुत परिवर्तन हो गया है. बहुत सी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है जिससे पक्षियों के आशियाने छीन रहे हैं. वहीं, मोबाइल टावरों की बढ़ती संख्या से पक्षी अनेक बीमारियों की चपेट में आ रहें हैं.
इसमें एक बीमारी कैंसर की है. अक्सर हमनें कैंसर बीमारी से मनुष्यों को ग्रस्त होते देखा था लेकिन अब यह बीमारी पक्षियों में भी तेजी से बढ़ रही है,जिसका सीधा असर पक्षियों के उड़ने की क्षमता पर पड़ रहा है. इन सब वजहों से ये बेजुबान इधर- उधर भटकने को मजबूर हो गए हैं.
ठीक होने पर खुले आसमान में उड़ते हैं पक्षी
डॉ साध्वी अर्चिता ने बताया कि यहां इलाज के लिए पहुंच रहे पक्षियों में से किसी के पंख खराब हो चुके हैं तो कई कबूतर लकवा बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं. इन सभी पक्षियों का इलाज चल रहा है. जब ये पक्षी ठीक हो जाएंगे तो इन्हें खुले आसमान में उड़ने के लिए छोड़ दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि फिलहाल यहां 500 से अधिक पक्षियों का इलाज चल रहा है. जो पक्षी ठीक हो जाते हैं वो यहां से उड़कर चले जाते हैं.
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