करनाल | भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र (करनाल) की ओर से इस बार गेहूं की तीन नई रिलीज किस्मों ने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बंपर पैदावार दी है. खास बात यह रही है कि तीनों नई किस्मों में किसी तरह के रोग की शिकायत सामने नहीं आई है. नई तीनों किस्मों ने प्रति एकड़ 30 क्विंटल तक की पैदावार दी है. पैदावार अधिक देने के साथ नई किस्में पीला रतुआ और फफूंदी रोग से लड़ने में सक्षम रही है. इससे किसानों का कीटनाशकों दवाओं पर होने वाला खर्च भी बचा है.
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान की ओर से इस बार गेहूं की 6 नई किस्में रिलीज की गई थी. इनमें WBW- 327, 332, 370, 371, 372 और 316 शामिल हैं. संस्थान की ओर से WBW- 370, 371, 372 का बीज 5 kg और 10 kg के पैकेट में किसानों को बिजाई के लिए उपलब्ध कराया गया था. संस्थान ने खुद भी इन किस्मों के गेहूं को अपने फार्म पर प्रशिक्षण के लिए उगाया था.
संस्थान निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि संस्थान की ओर से रिलीज की गई गेहूं की तीन नई वैरायटी ने 30 क्विंटल प्रति एकड़ तक की पैदावार दी है जबकि इस बार बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि का कहर भी झेलना पड़ा था. इन तीनों किस्मों में किसी तरह की कोई बीमारी नहीं आई. इन किस्मों को रोगों से लड़ने के लिए तैयार किया गया था.
उन्होंने बताया कि किसानों को उनकी मांग के अनुसार, बीज उपलब्ध कराया गया था. तीनों नई किस्मों ने बंपर पैदावार देकर किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया है. अच्छी पैदावार होने की खुशी किसानों के चेहरों पर साफ दिखाई दे रही है.
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