करनाल | लोकसभा चुनावों को लेकर शीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बनने पर हरियाणा में BJP- JJP गठबंधन टूट चुका है. इसके बाद, ऐसी राजनीतिक उठा- पटक देखने को मिली कि मनोहर लाल ने अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ सामूहिक इस्तीफा राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को सौंप दिया. ऐसे में हरियाणा में नायब सैनी को नया मुख्यमंत्री चुना गया. बीजेपी की नई सरकार ने जैसे ही हरियाणा विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास किया तो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करनाल विधानसभा क्षेत्र से विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया.
करनाल लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित
उनके इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद बीजेपी केन्द्रीय नेतृत्व ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को करनाल लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित कर दिया. इस लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल करना पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के लिए आसान नहीं रहने वाला है क्योंकि कई चुनौतियों से निपटना उनके लिए इतना सरल नहीं होगा.
किसान आंदोलन से नाराजगी
2020 में पंजाब से शुरू हुए किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर हरियाणा में देखने को मिला. हालात इस कदर बिगड़ गए थे कि बीजेपी नेताओं को किसानों ने गांवों में भी नहीं घुसने दिया था. खुद उस समय के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भी गांव कैमला में प्रोग्राम नहीं करने दिया गया था. भारी पुलिस बल की तैनाती के बावजूद भी किसानों ने उनका मंच उखाड़ दिया था. ऐसे में किसानों की नाराज़गी करनाल लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी मनोहर लाल के लिए भारी पड़ सकती है. वहीं, एक बार फिर किसान आंदोलन की राह पर है और बीजेपी सरकार के खिलाफ काफी गुस्से में है. ऐसे में मनोहर लाल को जीत हासिल करने के लिए एड़ी- चोटी का जोर लगाना होगा.
ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर जनाधार
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल करनाल विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार विधायक रहे हैं लेकिन ये इलाका ज्यादातर शहरी था. वहीं, लोकसभा की बात करें तो करनाल सीट दो जिलों में शामिल हैं. जहां ग्रामीणों की आबादी ज्यादा है. ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी का जनाधार ज्यादा मजबूत नहीं है. करनाल लोकसभा क्षेत्र में करनाल की 5 और पानीपत की 4 मिलाकर कुल 9 सीटें हैं और यहां से वर्तमान में 3 सीटों पर कांग्रेस और 5 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं, जबकि एक सीट निर्दलीय विधायक ने जीती थी. ऐसे में यहां कांटे की टक्कर हो सकती है.
पंजाबी उम्मीदवार का विरोध
करनाल लोकसभा सीट से पिछले लगातार दो बार पंजाबी समुदाय के प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है. इसी के चलते बाकी समुदाय के लोग अब पंजाबी समुदाय के प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं. करनाल क्षेत्र में राजपूत, रोड़, जाट और ब्राह्मण अपने समुदाय की बैठकें कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने सभी राजनीतिक पार्टियों से आह्वान किया है कि वो करनाल लोकसभा क्षेत्र से किसी पंजाबी उम्मीदवार को उनके बीच में न भेजें. हालांकि, करनाल लोकसभा सीट पर पंजाबी समुदाय के वोटर्स की संख्या का आंकड़ा ज्यादा है, लेकिन बाकी वोटरों के बिना जीत इतनी आसान नहीं है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मनोहर लाल जीत हासिल कर दिल्ली पहुंचते हैं या नहीं.
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