करनाल । करनाल जिले के आढ़तियों व किसानों के अब तक लगभग 38 करोड़ रूपए बकाया है. प्रशासन के द्वारा सख्ती बरतने के बावजूद आई टी सेल (IT Cell) और बैंक के लिए खातों में राशि का भुगतान करना एक बड़ी चुनौती बन गया है.
यहां अगर मुख्य दिक्कतों की बात की जाए तो सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि आढ़तियों ने ई -खरीद पोर्टल पर मंडी कर्मचारियों से मिल करके जमीन व आधार कार्ड नंबर का ब्यौरा तो किसानों का दर्ज कराया, किन्तु उसमें भुगतान के लिए बैंक खाता अपना अंकित कर दिया है. ऐसे ने अड़चन यह है कि भुगतान की व्यवस्था केवल उसी खाते में हैं, जो आधार कार्ड से लिंक है.
सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर हम कह सकते हैं कि धान खरीद शुरू होने से पहले ही जब हरियाणा सरकार ने “मेरी फसल मेरा ब्यौरा” और “ई- खरीद पोर्टल” जैसी स्मार्ट व्यस्थाओ को लागू किया था तो उसमें धान का भुगतान सीधे किसानों के खातों में देने का नियम रखा गया था, किंतु अब ऐसे में अब आढ़तियों का पूरा खेल चौपट हो जाने की संभावना जताई जा रही है और हो सकता है उन्हे मुंह की खानी पड़े.
वहीं दूसरी ओर आढ़तियों का कहना था कि किसान फसलों की बुआई व अतिरिक्त कार्यों के लिए उनसे नगद राशि लेता रहता है, जिसका भुगतान वह अपनी फसल से करता है और अगर ऐसे में धान का भुगतान सीधे किया गया तो आढ़तियों को किसानों से बकाया राशि लेने में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा.अब परिणाम स्वरूप आढ़ती एसोसिएशन ने हड़ताल की घोषित कर दी है. इस मामले को अंतिम पड़ाव देते हुए अब सरकार ने इस मामले का फैसला किसानों पर छोड़ दिया है. अब आखरी दिन में किसानों द्वारा ही तय किया जाएगा कि वह भुगतान को अपने खाते में लेना चाहते हैं या फिर आढ़ती के खाते में जाने देते हैं.
एसीएस पी के दास ( ACAS PK Das) ने इस विशेष मामले में बैंक व आई टी सेल (IT CELL) से स्पष्ट व सरल शब्दों में रिपोर्ट मांगी थी ,किंतु बीच में अवकाश होने की वजह से अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है. दरअसल, अगर अब वर्तमान स्थिति पर एक नजर डालें तो अभी तक जिले भर के सैकड़ो आढ़तियों व किसानों का 38 करोड़ का भुगतान बकाया है. इसके अलावा और भी आढ़तियों का काफ़ी धन फंसा हुआ है.
ग़लती न होने पर भी रोका गया भुगतान
रजनीश चौधरी प्रधान, हरियाणा अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन जिला करनाल ने संवाददाताओं से बातचीत करते समय अपना पक्ष रखते हुए साफ़ तौर पर कहा है कि मेरी फसल की ख़रीद तो एक अक्टूबर को की गई थीं और अब तक खरीद का 13 लाख रुपया बकाया है और मुख्य बात यह है कि उसमें तो बैंक एकाउंट भी ठीक है. इसके अतिरिक्त और भी मेरे जैसे सैकड़ों आढ़तियों के धान का भुगतान तीन महीने के बाद भी नहीं मिल पा रहा है. ]ऐसे में अगर अब कोई भी गड़बड़ियां हैं, उसमें अब न तो आढ़तियों का कोई दोष है और न ही किसानों की कोई गलती है, तो इस स्थिति में जो भी भुगतान रोका गया है, उस पर 12 फीसदी की दर से ब्याज दिया जाना चाहिए.
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