कुरुक्षेत्र I हरियाणा से कृषि सम्बन्धी बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है. जैसा कि खरीफ ऋतु आ चुकी है और फसलों की खरीद की प्रकिया आरम्भ हो चुकी है. धीरे धीरे अक्टूबर तक फसलों की खरीद प्रकिया तेज़ हो जाएगी. हरियाणा के 4 जिलों में धान की फसल की खरीद आरम्भ हो गई है. अब किसान हरियाणा में लागू हुए नए कृषि कानूनों के अनुसार अपनी फसल बाजार मंडियों की बजाय बाहर निजी टेंडर्स को भी बेच सकते हैं, लेकिन इससे हरियाणा सरकार को भारी आर्थिक नुकसान का सामान करना पड़ सकता है.
हरियाणा सरकार को 730 करोड़ के नुकसान की आशंका
अगर किसान अपनी फसल मंडियों में ना बेच कर प्राइवेट ट्रेडर्स को अपने मूल्य पर बेचते हैं तो इससे सरकार को काफी आर्थिक घाटा होगा. हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के आदेश पर अधिकारियों ने भविष्य में होने वाले घाटे की पूर्व विश्लेषण रिपोर्ट तैयार की है, जिसके अनुसार इस बार हरियाणा सरकार को 730 करोड़ रुपए का भारी नुकसान होने का अनुमान है. इसमें बाजार शुल्क व हरियाणा रूरल डेवेलपमेंट (HRD) शुल्क सम्मिलित है. केंद्र सरकार को यह रिपोर्ट भजे दी गई है और भावी नुकसान के बारे में सूचित कर दिया गया है. साथ मे केंद्र सरकार से सहायता भी मांगी गई है.
क्या कहती है रिपोर्ट
पूर्व विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष बाज़ार मंडियों में जितनी भी कीमत की फसल की खरीद होनी थी, उनमे से लगभग 360 करोड़ रु की मार्किट फ़ीस आनी थी तथा करीब 370 करोड़ रु हरियाणा रूरल डेवेलपमेंट शुल्क के आने थे. अब प्रेदश सरकार को आशंका है कि इस बार अधिकतर किसान अपनी फसलों को नए कृषि कानूनों के अनुसार निजी ट्रेडर्स को बेचेंगे जिससे बाजार मंडियों में अनाज कम आएगा, जिससे खरीद कम होगी. इसका प्रतिकूल प्रभाव सरकार की आमदनी पर पड़ेगा.
नुकसान से बचने के लिए सरकार का कदम
इस भारी नुकसान से बचने के लिए हरियाणा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार चाहती है कि किसान अपनी फसल मंडियों में ही बेचें. इसलिए सरकार ने बाजार शुल्क व हरियाणा रूरल डेवेलपमेंट (HRD) शुल्क आधा-आधा कर दिया है. हालांकि इससे भी सरकार को नुकसान ही होगा, फिर भी सरकार किसी भी तरह भावी नुकसान को कम से कम करना चाहती है I