कुरुक्षेत्र | आध्यात्मिक और पौराणिक रूप से हरियाणा का काफी महत्व रहा है. यहां कई ऐतिहासिक मंदिर हैं जो अपने अंदर यहां के समृद्ध इतिहास को भी समेटे हुए हैं. यहां आपको भगवान शिव के काफी मंदिर भी देखने को मिल जाते हैं, लेकिन आज हम आपको महादेव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो कुरुक्षेत्र जिले में है. यह मंदिर अनूठा कहा जाता है. यहां बिना नंदी के ही भोलेनाथ विराजमान हैं.
लंकापति रावण से जुड़ा है इतिहास
पुरानी कथाओं के अनुसार, एक बार लंकापति रावण यहां से अपने पुष्पक विमान से गुजर रहे थे. जब आकाश मार्ग से होते हुए वह कुरुक्षेत्र के कालेश्वर महादेव मंदिर के ऊपर से गुजरने लगे तो अचानक विमान डगमगा गया. उस समय यहां पर मंदिर स्थित नहीं था. उस समय यहाँ केवल एक शिवलिंग ही था. तब लंकापति ने सोचा कि ऐसा क्या कारण है, जिसकी वजह से उनका विमान डगमगा गया. जब उन्होंने नीचे आकर देखा, तो यहां पर एक शिवलिंग था. रावण ने यहां बैठकर फिर भोलेनाथ की तपस्या शुरू कर दी, जिसे देखकर स्वयं भोलेनाथ प्रकट हुए और रावण को वरदान मांगने को कहा.
रावण ने मांगा भोलेनाथ से वरदान
इस पर रावण ने कहा मैं आपसे जो भी वरदान मांगू इसका कोई तीसरा साक्षी नहीं होना चाहिए. इसके बाद, महादेव ने नदी को वहां से दूर जाने को कहा. रावण ने भगवान शिव से काल पर विजय का वरदान मांगा था. ऐसी मान्यताएं हैं कि उसके बाद से ही यहां शिवलिंग स्थापित है. ऐसी मान्यताएं हैं कि यहां पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.
ऐसा भी कहा जाता है कि अगर किसी इंसान की कुंडली में अकाल मृत्यु का दोष है और यहाँ शनिवार और सोमवार के दिन वह शिवलिंग पर जल अर्पित करे, तो उस पर से यह दोष हट जाता है. ऐसा इसलिए माना जाता है, क्योंकि रावण ने महादेव से काल पर विजय पाने का वरदान मांगा था. अकाल मृत्यु दोष को हटाने के लिए यहां विशेष तौर पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसा मानते हैं कि यदि कोई भक्त भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है तो वह काल को भी मोड़ सकता है. इसीलिए इसका नाम कालेश्वर महादेव मंदिर रखा गया है.
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